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शसि
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...शाणयोः
शसि -VI.1. 161
शाकटायनस्य-VIII. ili. 18 (चतुर् शब्द को अन्तोदात्त होता है) शस् के परे रहते। (भो,भगो, अघो तथा अवर्ण पर्ववाले पदान्त के वकार, ...शसी -VII. ii. 19
यकार को लघु प्रयलतर आदेश होता है शाकटायन
आचार्य के मत में। देखें-षिशसी VII. I. 19 ...शसो: - VI.i.90
शाकटायनस्य-VIII. iv. 49 देखें-अम्शसो: VI.i.90
(तीन मिले हुये संयुक्त वर्णों को) शाकटायन आचार्य ...शसो: -VI. iv.82
के मत में (द्वित्व नहीं होता)। देखें- अम्शसो: VI. iv. 82
...शाकम् - VI. ii. 128 ...शसोः -VII. 1. 20
देखें-पललसूप० VI. ii. 128 देखें-जश्शसो: VII. I. 20
शाकल्यस्य-I.1.16 शसभृतिषु-VI. 1. 61
शाकल्याचार्य के अनुसार (अवैदिक 'इति' शब्द के परे (वेदविषय में पाद, दन्त, नासिका, मास, हृदय, निशा, 'सम्बद्धि' संज्ञा के निमित्तभूत ओकार की प्रगृह्य संज्ञा असूज,यूष,दोष, यकृत,शकृत,उदक,आस्य-इन शब्दों होती है)। के स्थान में यथासंख्य करके पद्, दत्, नस, मास, हृत,
शाकल्यस्य-VI.1. 123 निश, असन, यूषन, दोषन्, यकन, शकन्, उदन, आसन् -ये आदेश हो जाते हैं) शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे
(असवर्ण अच् परे रहते इक् को) शाकल्य आचार्य के रहते)।
मत में (प्रकृतिभाव हो जाता है तथा उस इक के स्थान में
हस्व हो जाता है)। ...शंभ्याम् -V. 1. 138 देखें-कंशंभ्याम् V. ii. 138
शाकल्यस्य-VIII. III. 19 .....शंस... -VI.1.208
(अवर्ण पूर्ववाले पदान्त यकार, वकार का) शाकल्य . देखें -ईडवन्द० VI. I. 208
आचार्य के मत में (लोप होता है)। शंस्तु-VII. II.34
शाकल्यस्य - VIII. iv.50 शंस्तु शब्द (वेदविषय में) इडभावयुक्त निपातित है। शाकल्य आचार्य के मत में (सर्वत्र अर्थात् त्रिप्रभृति ...शा... - II. iv. 78
अथवा अत्रिप्रभृति सर्वत्र द्वित्व नहीं होता)। - देखें-घ्राधेट्शाच्छासः II. iv. 78
शाखादिभ्यः - V. 1. 103 शा-VI. iv. 35
शाखादि प्रातिपदिकों से (इवार्थ में यत् प्रत्यय होता - (शास् अङ्ग के स्थान में हि परे रहते) शा आदेश होता है)। ।
शाच्छासासाव्यावेपाम् -VII. I. 37 शा... - VII. lil. 37
शो, छो, षो, हेज, व्येज, वेब,पाइन अङ्गों को (णि देखें-शाच्छासाOVII. 11.37
परे रहते युक् आगम होता है)। शा... -VII. iv.41
शाच्छो: - VII. iv. 41 देखें-शाच्छो : VII. iv. 41
शो तथा छो अङ्गको विकल्प करके इकारादेश होता शाकटायनस्य-III. iv. 111
है,तकारादि कित् प्रत्यय परे रहते)। (आकारान्त धातुओं से उत्तर लङ् के स्थान में जो झि आदेश, उसको जुस् आदेश होता है) शाकटायन के मत
___...शाणयोः - VII. III. 17
देखें- असंज्ञाशाणयोः VII. II. 17
' में (ही)।