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शतमान...
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श:-III. I. 137
शकुनौ - VI. 1. 145 (पा,घा, ध्मा, धेट् और दृश् धातुओं से) श प्रत्यय होता (विष्किर-इस में ककार से पूर्व सुट् विकल्प से निपा
तन किया जाता है) पक्षी को कहा जा रहा हो तो। श: -VIII. iv. 62
...शकृतोः - III. ii. 24 (झय प्रत्याहार से उत्तर) शकार के स्थान में (अट् परे देखें-स्तम्बशकृतो: III. ii. 24 रहते विकल्प से छकार आदेश होता है)।
शक्ति ... - IV. iv.59
देखें-शक्तियष्ट्योः IV. iv. 59 ...शक... -VII. iv.54 देखें-मीमाधु० VII. iv. 54
शक्तियष्ट्योः - IV. iv. 59 . शकटात् -IV. iv.80
(प्रथमासमर्थ प्रहरणसमानाधिकरणवाची) शक्ति तथा (द्वितीयासमर्थ) शकट प्रातिपदिक से (ढोता है' अर्थ में
यष्टि प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में ईकक् प्रत्यय होता है)। अण् प्रत्यय होता है)।
...शक्तिषु - III. ii. 129
देखें-ताच्छील्यवयोवचन III. ii. 129 शकन् - VI.i. 61
. (वेदविषय में शकृत् शब्द के स्थान में) शकन् आदेश
शक्तौ -III. ii. 54 हो जाता है, (शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)।
शक्ति गम्यमान होने पर (हस्ति और कपाट कर्म उपपद
रहते 'हन्' धातु से टक प्रत्यय होता है)। शकलम् - VIII. ii. 59
शक्याथे - VI. 1.78 (भित्तम् शब्द में भिदिर् धातु से उत्तर क्त के नत्व का अभाव निपातन है, यदि भित्तम् से) टुकड़ा कहा जा रहा (क्षय्य और जय्य शब्द निपातन किये जाते है). शक्य हो तो।
= सकने योग्य अर्थ में। शकलात् - IV. iii. 127
शक्याथे-VII. iii. 68 (षष्ठीसमर्थ गोत्रप्रत्ययान्त यजन्त) शकल शब्द से (प्रयोज्य तथा नियोज्य ण्यत् प्रत्ययान्त शब्द) शक्य = (विकल्प से अण् प्रत्यय होता है, पक्ष में वुज होता है)। सकने योग्य अर्थ में (निपातन किये जाते हैं)। । शकि... -III.199
...शकटचौ - V. ii. 28 देखें-शकिसहोः I. 199
देखें-शालच्छड्कटचौ v.ii. 28 शकि-III. iii. 172
...शकु... - VIII. iii.97 . शक्यार्थ गम्यमान हो तो धातु से लिङ्ग प्रत्यय होता है।
देखें - अम्बाम्ब० VIII. iii. 97 तथा चकार से कृत्यसंज्ञक प्रत्यय भी होते है)।
शण्डिकादिभ्यः - IV. iii. 92 शकि-III. iv. 12
(प्रथमासमर्थ) शण्डिकादि प्रातिपदिकों से (इसका
अभिजन' अर्थ में ज्य प्रत्यय होता है)। शक्नोति धातु उपपद हो तो वेदविषय में धातु से णमुल तथा कमुल् प्रत्यय होते हैं)।
शत... - V. ii. 119 शकिसहो: - III. 1. 99
देखें-शतसहस्त्रान्तात् V.ii. 119 शक्ल तथा षह मर्षणार्थक धात से (भी यत प्रत्यय होता ...शतभिषजः -IV. iii. 37
देखें-वत्सशालाभिजिo Viii.37 ...शकुनि... -II. iv. 12
...शतम् -v.i. 58 देखें-वृक्षमृगतृणधान्य II. iv. 12
देखें-पंक्तिविंशतिov.i. 58 ...शकुनिषु -VI.i. 137 .
शतमान... -V.i.27 देखें-चतुष्पाच्छकुनिषु VI.i. 137
देखें- शतमानविंशतिकov.i.27