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वा
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. वा-VII. ii. 38
वा-VII. iv.37 (वृ तथा ऋकारान्त धातुओं से उत्तर इट् को) विकल्प (अकर्मक मुच्लू धातु को) विकल्प से (गुण होता है, से (लिट् भिन्न वलादि आर्धधातुक परे रहते दीर्घ होता सकारादि सन् प्रत्यय परे रहते)। है)।
वा-VII. iv. 81 वा-VII. ii.41
___ (सु,श्रु,द्रु,पुङ, प्लुङ, च्युङ्-इनके अवर्णपरक यण (वृ तथा ऋकारान्त धातुओं से उत्तर सन् आर्धधातुक परे है जिससे, ऐसे होनेवाले उवर्णान्त अभ्यास को) को) विकल्प से (इट् आगम होता है)।
विकल्प से (इकारादेश होता है)। वा-VII. ii. 44
...वा... - VIII. 1.24 (स्व शब्दोपतापयोः 'धूङ् प्राणिगर्भविमोचने', 'धूङ देखें - चवाहा० VIII. 1. 24 प्राणिप्रसवे', 'धूज कम्पने' तथा ऊदित् धातुओं से उत्तर वा-VIII. 1.6 वलादि आर्धधातुक को) विकल्प से (इट् आगम होता (पदादि अनुदात्त के परे रहते उदात्त के साथ में हुआ
जो एकादेश, वह) विकल्प करके (स्वरित होता है)। वा-VII. ii. 56 .
वा - VIII. II. 33 (उकार इत्सञ्जक धातुओं से उत्तर क्त्वा प्रत्यय को) (दुह जिघांसायाम','मुह वैचित्ये','ष्णुह उद्भिरणे','ष्णिह विकल्प से (इट आगम होता है)।
प्रीतौ'-इन धातुओं के हकार के स्थान में) विकल्प से वा - VII..in. 26
(षकारादेश होता है, झल् परे रहते या पदान्त में)। (अर्ध शब्द से उत्तर परिमाणवाची उत्तरपद के अचों में वा-VIII. 1.63 , आदि अच् को वृद्धि होती है, पूर्वपद को तो (विकल्प से (नश् पद को) विकल्प से (कवर्गादेश होता है)। (होती है; बित, णित् तथा कित तद्धित परे रहते)।
वा-VIII. 1.74 वा-VII. iii. 70
(सकारान्त पद् धातु को सिप् परे रहते) विकल्प से (रु (घुसज्ञक धातुओं के आकार का लेट् परेरहते) विकल्प आदेश होता है)। से (लोप होता है)।
वा-VIII. iii.2 वा-VII. Ill.73
(यहाँ से जिसको रु विधान करेंगे, उससे पूर्व के वर्ण ('दुह प्रपूरणे', 'दिह उपचये', 'लिह आस्वादने', 'गुहू को तो) विकल्प से (अनुनासिक आदेश होता है, ऐसा संवरणे"-इन धातुओं के क्स का) विकल्प से (लुक् अधिकार इस रुत्व-विधान के प्रकरण में समझना होता है. दन्त्य अक्षर आदि वाले आत्मनेपद-सजक चाहिये। प्रत्ययों के परे रहते)।
वा-VIII. iii. 26 वा-VII. iii. 94
(मकारपरक हकार के परे रहते पदान्त मकार को) (यङ्स उत्तर हलादिपित् सावधातुक का इट् आगम) विकल्प से (मकारादेश होता है)। विकल्प से (होता है)।
वा-VIII. iii. 33 . वा-VII. iv.6
(मय प्रत्याहार से उत्तर उञ् को अच् परे रहते) विकल्प .. (घा गन्धोपादाने अङ्ग की उपधा को चङ्परक णि परे
करके (वकारादेश होता है)। रहते) विकल्प से (इकारादेश होता है)।
वा-VIII. iii. 36 वा - VII. iv. 12
(श, दु तथा पृ अङ्गों को लिट् परे रहते) विकल्प से विसर्जनीय को) विकल्प से (विसर्जनीय आदेश होता (हस्व होता है)।
है,शर परे, रहते)।