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मध्वादिभ्यः
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मध्वादिभ्यः - IV.ii. 85
मधु आदि प्रातिपदिकों से (भी चातुरर्थिक मतुप प्रत्यय होता है)। मन्... -V.ii. 137
देखें-मन्माभ्याम् V. ii. 137 मन्... - VI. ii. 151
देखें- मन्वितन्० VI. ii. 151 ...मन्... -VI. iv.97
देखें - इस्मन् VI. iv.97 ...मन... -III. iii.96
देखें-वृषेष III. iii.96 ...मन... - III. iii.99
देखें-समजनिषद III. iii. 99 ...मन... -VII. iii.78 • देखें-पिबजिन VII. iii. 78 मनः -III. ii.,82 मन् धातु से (सुबन्त उपपद रहते ‘णिनि' प्रत्यय होता
मन: - IV.i. 11
मन अन्त वाले प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग में ङीप प्रत्यय नहीं होता)। ...मनस्... -v.iv. 51. - देखें - अर्मनस्० V. iv. 51 ...मनस्... -VII. ii. 18
देखें-मन्थमनस्o VII. ii. 18 मनसः -VI. iii.4
मनस् शब्द से उत्तर (सज्ञाविषय में तृतीया विभक्ति का उत्तरपद परे रहते अलुक् होता है)। ...मनसी-I. iv.65
देखें - कणेमनसी I. iv. 65 ...मनसी -1. iv.74
देखें-उरसिमनसी I. iv.74 मनसी -Vi. ii. 117 (सु से उत्तर मन् अन्तवाले) तथा अस् अन्तवाले उत्तरपद शब्दों को (बहुव्रीहि समास में आधुदात्त होता है, लोमन् तथा उषस् शब्दों को छोड़कर)।
मनिन्... - III. ii.74
देखें-मनिन्क्वनिप्छ III. I. 74 मनिन्क्वनिव्वनिप: -III. ii.74
(आकारान्त धातुओं से सुबन्त उपपद रहते वेदविषय में) मनिन्, क्वनिप, वनिप् (तथा विच) प्रत्यय होते हैं। ...मनुष्य... - IV.ii. 38
देखें - गोत्रोक्षोष्ट्रो IV.ii. 38 मनुष्य.. - IV. ii. 133
देखें - मनुष्यतत्स्थयो: IV. ii. 133 ...मनुष्य.. - V. iv. 56
देखें -देवमनुष्य० v. iv.56 मनुष्यजाते: - IV.i. 65
(इकारान्त) मनुष्यजातिवाची (अनुपसर्जन) शब्द से (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय होता है)। . मनुष्यतत्स्थयो: - IV.ii. 133
मनुष्य तथा मनुष्य में स्थित कोई कर्मादि अभिधेय हो (तो कच्छादि प्रातिपदिकों से वज प्रत्यय होता है)। मनुष्यनाम्न: - V. iii. 78
(बहुत अच् वाले) मनुष्य नामधेय प्रातिपदिक से (अनुकम्पा से युक्त नीति गम्यमान होने पर विकल्प से ठच प्रत्यय होता है)। मनुष्ये - IV. i. 128
(अरण्य प्रातिपदिक से) मनुष्य अभिधेय हो तो (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)। मनुष्ये - V. iii. 98
(सज्ञाविषय में विहित कन् प्रत्यय का) मनुष्य अभिधेय होने पर (लुप् हो जाता है)। ...मनुष्येभ्यः - IV. iii. 81
देखें - हेतुमनुष्येभ्य: IV. iii. 81 मनोः - IV. i. 38 ___ मनु शब्द से (स्त्रीलिङ्ग में विकल्प से ङीप् प्रत्यय,औकार
अन्तादेश एवं ऐकार अन्तादेश भी हो जाता है और वह ऐकार उदात्त भी होता है)।