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(पूजित' अर्थ में वर्तमान) भ्रातृ-शब्दान्त (बहुव्रीहि) से (समासान्त कप् प्रत्यय नहीं होता है)। प्रातृ... -I.ii. 68
देखें - प्रातृपुत्रौ I. ii. 68 भ्रातृपुत्रौ -I.ii. 68
प्रातृ और पुत्र शब्द (यथाक्रम स्वस और दुहितृ शब्दों के साथ शेष रह जाते हैं,स्वसृ तथा दुहितृ शब्द हट जाते
प्रस्ज: -VI. iv. 47
प्रस्ज् धातु के (रेफ तथा उपधा के स्थान में विकल्प से रम् आगम होता है, आर्धधातक परे रहने पर)। ...अंसु... -VII. iv.84
देखें-वञ्चत्रंसु० VII. iv. 84 प्राज... -III. ii. 177
देखें - प्राजभासं० III. ii. 177 भ्राज... - VII. iv.3
देखें- प्राजभास. VII. iv. 3 ...प्राज... -VIII. ii. 36
देखें - वश्चभ्रस्ज. VIII. ii. 36 भ्राजभासधुर्विद्युतोर्जिपृजुग्रावस्तुकः -III. ii. 177
प्राज़,भास.धुर्वी धुत ऊर्जप.ज.पावपर्वकष्टजन धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों. वर्तमानकाल में क्विप प्रत्यय होता है। प्राजभासभाषदीपजीवमीलपीडाम् - VII. iv. 3
प्राज,भास,भाष,दीपी.जीव मील.पीड-डन अङगों की.(उपधा को चङ्परक णि परे रहते विकल्प से हस्व होता है)। प्रातरि - IV.i. 164 (बड़े) भाई के (जीवित रहते पौत्रप्रभति का जो अपत्य छोटा भाई, उसकी भी युवा संज्ञा हो जाती है)। प्रातुः - IV. 1. 144 प्रातृ शब्द से (अपत्य अर्थ में व्यत् तथा छ प्रत्यय होता
प्राश... -III. .70
देखें- प्राशलाश III.i. 70 प्राशभ्लाशप्रमुक्रमुक्लमुत्रसित्रुटिलष: - III. I. 70
टुभ्राश,टुभ्लाश्ल, भ्रम,क्रम,क्लमु,सि,त्रुटि,लष् - इन धातुओं से (विकल्प से श्यन् प्रत्यय होता है.कर्तवाची सार्वधातुक परे रहते)। ...प्राष्ट्र... - VI. ii. 82
देखें-दीर्घकाश VI. ii. 82 ध्रुवः - IV. 1. 125 .प्रातिपदिक से (अपत्य अर्थ में ढक् प्रत्यय होता है). तथा भ्रू को (वुक का आगम भी होता है)। ....ध्रुवाम् - VI. iv. 77
देखें -श्नुधातु0 VI. iv.77 ...भ्रूण... -III. ii. 87
देखें-ब्रह्मभ्रूण III. ii. 87 ...प्रौणहत्य... - VI. iv. 174
देखें - दण्डिनायनहास्तिक VI. iv. 174 ...श्लाश... - III. 1.70 देखें-प्राशमलाश III. 1.70
धातुः - V. iv. 157
म्... -I.i. 38
देखें-मेजन्तः I. 1. 38 म्... -VI. iv. 107 - देखें-म्वो: VI. iv. 107 ...म्... - VII. ii.5
देखें-हम्यन्तक्षण VII. ii.5
म्... - VIII. ii. 65
देखें-म्वो: VIII. ii. 65 म-प्रत्याहारसूत्र VII
भगवान् पाणिनि द्वारा अपने सप्तम प्रत्याहारसूत्र में पठित द्वितीय वर्ण।
पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का सोलहवां वर्ण।