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प्रादयः
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प्रादयः -I. iv.58
प्राये -v.ii. 82 प्रादिगणपठित शब्द (निपातसंज्ञक होते हैं, तथा क्रिया (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में कन् प्रत्यय के साथ प्रयुक्त होने पर वे उपसर्ग-सज्ञक होते हैं)। होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ) बहुल करके (सञ्जाविषय ...प्रादयः -II. ii. 18
में अन्नविषयक हो तो)। देखें - कुगतिप्रादयः II. ii. 18
प्रायेण-III. ii. 118 ....प्रादुर्थ्याम् - VIII. iii. 87
(धातु से करण और अधिकरण कारक में पुंल्लिङ्ग में) देखें - उपसर्गप्रादुर्थ्याम् VIII. ii. 87
प्रायः करके (घ प्रत्यय होता है, यदि समुदाय से संज्ञा
प्रतीत होती हो)। प्राध्वम् -I. iv.77 'प्राध्वम्' शब्द (बन्धन अर्थ में कृञ् के योग में नित्य
...प्रार्थनेषु - III. iii. 161 गति और निपात सञ्जक होता है)।
देखें-विधिनिमन्त्रण III. 1. 161
...प्रावीण्ययोः - IV. 1. 127 ...प्राप्त... -II.i. 23
देखें - कुत्सनप्रावीण्ययोः IV. ii. 127 देखें - श्रितातीतपतितः II. 1. 23
प्रावृट्.. - VI. iii. 14 . . . प्राप्त... - II. ii.4
देखें-प्रावृट्शरत् VI. iii. 14. देखें - प्राप्तापने II. II. 4
प्रावृट्शरत्कालदिवाम् - VI. iii. 14 ....प्राप्तकालेषु - III. iii. 163
प्रावृट्, शरत, काल, दिव् - इन शब्दों की (सप्तमी का देखें - प्रैवातिसर्ग III. iii. 163
'ज' उत्तरपद रहते अलुक होता है)। प्राप्तम् - V. 1. 103
प्रावृषः -IV. iii. 17 (प्रथमासमर्थ समय प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में यथावि
प्रावृष् प्रातिपदिक से (एण्य प्रत्यय होता है)। हित ठञ् प्रत्यय होता है,यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक प्राप्त समानाधिकरण वाला हो तो।
प्रावृष -IV. lil. 26 प्राप्तापने-II. 1.4
(सप्तमीसमर्थ) प्रावृष् प्रातिपदिक से (उत्पन्न हुआ'
अर्थ में ठप प्रत्यय होता है)। प्राप्त, आपन्न -ये (सुबन्त) शब्द (भी द्वितीयान्त सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं और
....प्रासङ्गम् - IV.iv.76
देखें - रथयुगप्रासङ्गम् IV. iv.76 वह तत्पुरुष समास होता है)। प्राप्नोति -v.ii. 8
....प्राणे... - IV. iii. 23 (द्वितीयासमर्थ आप्रपद प्रातिपदिक से) प्राप्त होता है' .
देखें-सायंचिरंपाहणे IV. iii. 23 अर्थ में (ख प्रत्यय होता है)।
प्रिय..-III. 1. 38 ...प्राप्य... - IV. iv. 91
देखें-प्रियवशे III. 1. 38 देखें - तार्यतुल्य IV. iv. 91
...प्रिय...-III. ii. 44 ...प्राम् - VII. iv. 12
देखें-क्षेमप्रिय III. ii. 44 देखें-शदनाम् VII. iv. 12
प्रिय..-VI. iv. 157 प्रायभक -IV. iii.39
देखें-प्रियस्थिर०VI. iv. 157 (सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिकों से) 'प्रायः करके होता है' प्रिय... - VIII. 1. 13 (अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)।
देखें- प्रियसुखयोः VIII. 1. 13 ..