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परिमाणे
परिमाणे - III. ii. 33 परिमाण-वाचक उपपद रहते (पच्' धातु से खश् प्रत्यय
होता है)।
परिमाणे
III.1.66
परिमाण गम्यमान होने पर (पण् धातु से नित्य ही कर्तृभिन्न कारकसंज्ञा तथा भाव में अप प्रत्यय होता है)। परिमाणे
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IV. iii. 150
(षष्ठीसमर्थ सुवर्णवाची प्रातिपदिकों से) परिमाण जाना जाये तो विकार अभिधेय होने पर अण प्रत्यय होता है)। परिमाणे VII. 39 - ii.
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(प्रथमासमर्थ) परिमाणसमानाधिकरणवाची (यत्, तत् तथा एतद् प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में वतुप् प्रत्यय होता है)।
परिमुखम् - IV. Iv. 29
(द्वितीयासमर्थ) परिमुख प्रतिपदिक से भी 'वर्तते' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)।
परिमुख = मुंह के सामने ।
... परिमुह... - I. III. 89
देखें - पादग्याड्यमाड्यस० I. iii. 89 ... परिमुह ..
. - III. ii. 142
देखें - सम्पृचानुरुधo III. ii. 142 परिमृज... - III. 1. 5
ii.
देखें - परिमृजापनुदो: III. ii. 5 परिमृजापनुदो: - III. ii. 5
354
(तुन्द तथा शोक कर्म उपपद रहते यथासङ्ख्य करके) परिपूर्वक मृज तथा अपपूर्वक नुद् धातु से (क प्रत्यय होता है) ।
... परमे... - VIII. 1. 97
देखें अम्बाम्बo VIII. iii. 97
...परिस्ट... - III. 1. 142
देखें - सम्पृचानुरुध० III. ii. 142 परिरट चीखना, चिल्लाना ।
...
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परिस्ट ... -
III. ii. 146
देखें - निन्दहिंसo III. ii. 146
... परिवद ... - III. I. 142
देखें - सम्पृचानुरुध० III. ii. 142 ...परिवादि... - III. 1. 146
देखें - निन्दहिंसo III. II. 146 परिवापणे Viv 67
( मद्र प्रातिपदिक से कृञ् के योग में डाच् प्रत्यय होता है) मुण्डन वाच्य हो तो ।
परिवृद्धः - VII. 1. 21
ii.
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परिवृढ शब्द (निष्ठा परे रहते स्वामी अर्थ को कहने में निपातन किया जाता है)।
परिवृतः - IV. 1. 9
(तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से) 'ढका हुआ' इस अर्थ में (यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह ढका हुआ रथ होतो)।
परिवाजकयो - IV. 1. 149
देखें वेणुपरिव्राजकयो: IV. 149
परिषद - IV. 1. 122
...
परिव्यवेभ्यः - I. iii. 18
परि वि तथा अब उपसर्ग से उत्तर (टुक्रीञ् धातु से आत्मनेपद होता है)।
...
देखें - पत्राध्वर्युपरिषदः IV. ii. 122
परिषदः - IV. iv. 44
परिस्कन्दः
परिषदः
परिषद - IV. iv. 101
(द्वितीयासमर्थ) परिषद् प्रातिपदिक से (समजेत होता
है' अर्थ में ण्य प्रत्यय होता है)।
परिषदः - V. ii. 112
देखें रजः कृष्याo K. BL. 112
परिस्... - III. ii. 142
देखें - सम्पृचानुरुध० III. ii. 142
परिस्कन्दः - VIII. iii. 75
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(सप्तमीसमर्थ) परिषद् प्रातिपदिक से (साधु अर्थ में ण्य प्रत्यय होता है)।
...
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परिस्कन्द शब्द में मूर्धन्याभाव निपातन है, (प्राग्देशी
यान्तर्गत भरतदेश के प्रयोग - विषय में) । -