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पदम्
पदम् - VI. 1. 152
(जिस एक पद में उदात्त या स्वरित विधान किया है, उसी के एक अच् को छोड़कर शेष ) पद (अनुदात्त अच् वाला हो जाता है।
पदरुजविशस्पृशः - III. iii. 16
पद, रुज, विश तथा स्पृश धातुओं) से घञ् प्रत्यय होता है ।
पदविधिः - II. 1. 1
पदसम्बन्धी विधि = कार्य (समर्थों के आश्रित समझनी चाहिये।
... पदवी... - IV. iv. 37
देखें - माथोत्तरपदपदव्यo IV. iv. 37
पदव्यवाये - VIII. iv. 37
(निमित्त र ष तथा निमित्ती न के मध्य) पद का व्यवधान होने पर (भी नकार को णकार नहीं होता) ।
... पदष्ठीव... - V. iv. 77
देखें - अचतुरo Viv. 77
पदष्ठीव = पैर और घुटने ।
पदस्य - VIII. 1. 16
(यह अधिकार सूत्र है । 'अपदान्तस्य मूर्धन्यः' VIII. i. 55 से पहले तक कहे हुये कार्य) पद के स्थान में (होते है, ऐसा अधिकार जानना चाहिये) ।
पदात् - VIII. 1. 17
(यह अधिकार सूत्र है, 'कुत्सने च सुप्यगोत्रादौ ' VIII. i. 69 से पहले-पहले कहे हुये कार्य) पद से उत्तरपद (के स्थान में होते हैं, ऐसा अधिकार जानना चाहिये) । .....पदादि... VI. i. 165
देखें - ऊडिदम् VI. 1. 165
पदादौ - VIII. ii. 6
पदादि (अनुदात्त) के परे रहते (उदात्त के स्थान में हुआ जो कारादेश, वह विकल्प करके स्वरित होता है)। ..पदाद्यो: - VIII. iii. 111
देखें - सात्पदाद्यो: VIII. iii. 111
पदान्त... - I. 1. 57
देखें - पदान्तद्विर्वचनवरेयलोपस्वरसवर्णानुस्वारदीर्घजश्चर्विधिषु I. 1. 57
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...पदाम्
पदान्तद्विर्वचनवरेयलोपस्वरसवर्णानुस्वारदीर्घजश्चर्विधिषु
- I. i. 57
पदान्त, द्विर्वचन, वरे, यलोप, स्वर, सवर्ण, अनुस्वार, दीर्घ, ज, चर्— इन विधियों में (परनिमित्तक अजादेश स्थानिवत् नहीं होता) ।
पदान्तस्य - VII. iii. 9
पद शब्द अन्त में है जिसके, (ऐसे श्वन् आदि वाले) अङ्ग को (जो ऐच् आगम एवं वृद्धिप्रतिषेध कहा है, वह विकल्प से नहीं होता) ।
पदान्तस्य - VIII. iv. 36
पद के अन्त के (नकार को णकार आदेश नहीं होता) । पदान्तस्य - VIII. iv. 58
पदान्त के (अनुस्वार को यय् परे रहते विकल्प से परसवर्णादेश होता है)।
पदान्तात् - VI. 1. 73
(दीर्घ से उत्तर जो दकार है, उसके परे रहते दीर्घ को नित्य तुक् का आगम होता है, तथा) पदान्त (दीर्घ) से उत्तर (छकार परे रहते पूर्व पदान्त दीर्घ को विकल्प से तुक् आगम होता है, संहिता के विषय में)।
पदान्तात् - VI. 1. 105
पदान्त (एङ् प्रत्याहार) से उत्तर (अकार परे रहते पूर्व, पर ...के स्थान में पूर्वरूप एकादेश होता है, संहिता के विषय में)। पदान्तात् - VIII. Iv. 34
- पदान्त ( षकार से उत्तर नकार को णकार आदेश नहीं होता ।
पदान्तात् - VIII. iv. 41
पदान्त (टवर्ग) से उत्तर (सकार और तवर्ग को षकार और टवर्ग नहीं होता, नाम् को छोड़कर) ।
पदान्ताभ्याम् - VII. iii. 3
पदान्त (यकार तथा वकार) से उत्तर (जित्, णित्, कित्. तद्धित परे रहते अङ्ग के अचों में आदि अच् को वृद्धि नहीं होती, किन्तु उन यकार, वकार से पूर्व तो क्रमशः ऐच् = ऐ, औ आगम होता 1
... पदाम् - VII. Iv. 54
देखें - मीमाधुo VII. iv. 54