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नाला
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नलोपः -V.I. 124
नशिवहो: -III. iv.43 (षष्ठीसमर्थ स्तेन प्रातिपदिक से भाव तथा कर्म अर्थ में (कर्तावाची जीव तथा पुरुष शब्द उपपद हों तो यत् प्रत्यय होता है तथा) स्तेन शब्द के न का लोप भी यथासङ्ख्य करके) नश तथा वह धातुओं से (णमुल् हो जाता है)।
प्रत्यय होता है)। नलोपः-VI. iii. 72
नशे: - VIII. ii. 63 (नज् के) नकार का लोप हो जाता है, (उत्तरपद के परे नश् पद को (विकल्प से कवर्गादेश होता है)। रहते)।
नशे: - VIII. iv. 35 नलोपः-VI. iv.23
(षकारान्त) नश् धातु के (नकार को णकारादेश नहीं (श्न से उत्त) नकार का लोप हो जाता है)।
होता)। नलोपः-VIII. .2
...नशो: -VII. 1.60 (सुविधि,स्वरविधि,सज्जाविधि एवं कृत् विषयक तुक् देखें-मस्जिनशोः VII. 1.60 की विधि करने में) नकार का लोप (असिद्ध होता है)। नस-VI. 1. 61 नलोप. - VIII. 1.7
वेदविषय में नासिका शब्द के स्थान में नस् आदेश हो (प्रातिपदिक पद के अन्त के) नकार का लोप होता है)। जाता है, शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)। ....नव.. -II.148
नसत.. - VIII. ii. 61 देखें-पूर्वकालैकसर्वजरत II. 1. 48 - देखें - नसत्तनिक्ता० VIII. ii. 61 ....नवति... -V.1.58
नसत्तनिक्तानुत्तप्रतूर्तसूर्तगूर्तानि - VIII. ii. 61 देखें -पंक्तिविंशति० V.i. 58
नसत्त,निषत्त, अनुत्त,प्रतूर्त, सूर्त, गूर्त - ये शब्द (वेदनवण्यः -VII. 1. 16
विषय) में निपातन किये जाते है)। (पूर्व है आदि में जिनके, ऐसे गणपठित) नौ (सर्वनामों) __नसम् - V. iv. 118 से उत्तर (ङसि तथा ङि के स्थान में क्रमशः स्मात् तथा
___ (नासिकाशब्दान्त बहुव्रीहि से समासान्त अच् प्रत्यय स्मिन् आदेश विकल्प से होते है)।
होता है, सञ्जाविषय में तथा नासिका शब्द के स्थान में) ....नवम् - VI. 1. 89
नस देश (भी) हो जाता है.(यदि बह नासिका शब्द स्थूल देखें- अमहन्नवम् VI. ii. 89
शब्द से उत्तर न हो तो)। ....नवेदा... - VI. iii. 74
नसह-V.ii. 27 देखें- नमानपात्o VI. ii. 74
(वि तथा नञ् प्रातिपदिकों से) “पृथग्भाव” अर्थ में ...नश... -I. iii. 86
(यथासङ्ख्य करके ना तथा नाज प्रत्यय होते है)। देखें-बुधयुधनशजने I. iii. 86
..नसौ - VIII. 1. 21 ...नश... -III. II. 163
देखें - वस्नसौ VIII. 1. 21 देखें-इण्नश III. 1. 163
नह - VIII. I. 31 ...नशाम् -VI. iv. 32
नह से युक्त (तिङन्त को प्रत्यारम्भ = पुनरारम्भ होने देखें-जान्तनशाम् VI. iv. 32
पर अनुदात्त नहीं होता। नशि... - III. iv. 43
...नहः-III. 1. 182 देखें-नशिवहो:-III. iv.43
देखें-दाम्नी III. 1. 182