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धि:
fa: - VI. iv. 101
(हु तथा झलन्त से उत्तर हलादि हि के स्थान में) चि
आदेश होता है।
विन्दि... - III. 1. 80
देखें चिन्विकृण्योः III. 1. 80
चिन्विकृण्ण्यो - III. 1. 80
चिवि तथा कृवि धातु को (उ' प्रत्यय और अकार अन्तादेश भी होता है, कर्तृवाची सार्वधातुक परे रहने
पर)।
धिषीय - VII. iv. 45
धिषीय शब्द (वेदविषय में निपातन किया जाता है)। ...fag-VI. iii. 57
देखें पेवंवासo VI. III. 57
-
1
धिष्व - VII. iv. 45
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धिष्व शब्द (वेदविषय में) निपातन किया जाता है. घुट् - VIII. iii. 29
(डकारान्त पद से उत्तर सकारादि पद को विकल्प से) घुट् का आगम होता है।
....... - VI. 74
देखें ऋक्रब्यूo Viv. 74
-
धुरः - IV. iv. 77
(द्वितीयासमर्थ) घुर् प्रातिपदिक से (ढोता है' अर्थ में यत् और ढक् प्रत्यय होते हैं)।
... धुर्वि...
III. ii. 177
देखें - भ्राजभासo III. ii. 177
-
... धू... III. ii. 184
देखें अर्तिलूधू०] III. II. 184
.. धूञ्... - VII. ii. 44
देखें स्वरतिसूति० VII. II. 34
...q-VII. ii. 72
-
-
देखें स्तुभ्य VII. 1. 72
318
-
.. धूप... III. i. 28
देखें गुपधूपविच्छि० III. 1. 28
धूमादिभ्यः - IV. 1. 126
(देशविशेषवाची) धूमादिगणपठित प्रातिपदिकों से (भी
शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है) ।
.... धूर्तेः - II. 1. 64
देखें- पोटायुवतिस्तोक० II. 1. 64
... धृतराज्ञाम् - VI. iv. 135
देखें पूर्वहन् VI. Iv. 135
-III. iv. 65
-
.. धूप...
देखें
-
- • शकधृषo III. iv. 65
... धृषः - I. ii. 19
देखें शीस्विदिमिदिविदि 1. II. 19
-
.. धृषि... - III. ii. 140
देखें - प्रसिधि० III. H. 140
धृषिशसी - VII. ii. 19
'विषा प्रागल्भ्ये' तथा 'शसु हिंसायां' धातु (निष्ठा परे रहते अविनीतता गम्यमान होने पर अनिट् होते हैं)। .....घृष्टौ देखें
- VI. i. 200
शुष्कपृष्टी VI. 1. 200
.... घेट्... - II. Iv. 78
देखें - प्रावेशाच्छास II. Iv. 78
छेटू.. - III. 1. 49
देखें- यो - Bevel: III. i. 49
-III. 1. 137
• पाघ्राध्मा० III. 1. 137
- III. ii. 159
दाषेट् III. 1. 159
.. घे ....
देखें
... घेटू....
देखें
-
पेटो - III. 1. 29
... धेनु....
• घ्माधेटो: III. ii. 29
देखें
घेट्यो - III. 1. 49
धेट् तथा टुओश्वि धातु से उत्तर (चिल को विकल्प से
चङ् आदेश होता है, कर्तृवाची लुङ् परे रहने पर) ।
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- II. i. 64
देखें- पोटायुवतिस्तोक० II. 1. 64