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...दण्डाजिनाभ्याम्
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...दण्डाजिनाभ्याम् –v.ii. 76
देखें - अयःशूलदण्डा० V. ii. 76 दण्डादिभ्यः - V.1.65
(द्वितीयासमर्थ) दण्डादि प्रातिपदिक से (समर्थ है' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। ...दत्.. - VI. 1.61
देखें - पहन्नोमास्० VI. i. 61 ...दत्... - VI. ii. 197
देखें - पाइन्मूर्धसु VI.ii. 197 दत -V.iv. 141
(संख्यापूर्व वाले तथा सु पूर्व वाले दन्त शब्द को समासान्त) दत आदेश होता है; (अवस्था गम्यमान होने पर, बहुव्रीहि समास में)। दत्त-VI. ii. 148
देखें - दत्तश्रुतयो: VI. ii. 148 दत्तम् - IV. iv. 119
(सप्तमीसमर्थ बर्हिस प्रातिपदिक से) 'दिया हआ' अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है, वेद-विषय में)। दत्तश्रुतयो: - VI. ii. 148
(सज्ञाविषय में आशीर्वाद गम्यमान हो तो कारक से उत्तर) दत्त तथा श्रुत क्तान्त शब्दों को (ही अन्त उदात्त होता है)। दद् - VII. iv. 46
(घुसज्ञक दा धातु के स्थान में) दद् आदेश होता है, (तकारादि कित् प्रत्यय परे रहते)। ...दद... -VI. iv. 126 देखें-शसददO VI. iv. 126
धवब्राह्मणप्रथमाध्वरपुचरणनामाख्यातात् – IV. iii.72
(षष्ठी तथा सप्तमीसमर्थ व्याख्यातव्यनाम जो) दो अचों वाले प्रातिपदिक, ऋकारान्त, ब्राह्मण, ऋक्, प्रथम, अध्वर, पुरश्चरण, नाम तथा आख्यात प्रातिपदिक उन से (भव, व्याख्यान अर्थों में ठक् प्रत्यय होता है)।
मगधकलिङ्गसूरमसात् - IV. 1. 168 (क्षत्रियाभिधायी जनपदवाची) दो अचों वाले शब्दों से तथा मगध, कलिङ्ग और सूरमस प्रातिपदिकों से (अपत्य अर्थ में अण् प्रत्यय होता है)। चन्तरुपसर्गेभ्य: - VI. iii. 96 द्वि, अन्तर् तथा उपसर्ग से उत्तर (आप् शब्द को ईका- .. रादेश हो जाता है)। द्वयष्टन: - VI. iii. 46
द्वि तथा अष्टन् शब्दों को (आकारादेश होता है संख्या उत्तरपद हो तो,बहुव्रीहि समास तथा अशीति उत्तरपद को छोड़कर)। ....व्यायुष... -V.iv.77
देखें-अचतुर० V. iv.77 व्येकयो: -I. iv. 22 द्वित्व तथा एकत्व अर्थ की विवक्षा में (क्रमशः द्विवचन. और एकवचन के प्रत्यय होते हैं)। यसदनमात्रच:-V.I1.37 - (प्रथमासमर्थ प्रमाण समानाधिकरणवाची प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में) द्वयसंच,दन और मात्रच प्रत्यय होते हैं। द्वयोः-I. ii. 59 .
(अस्मदर्थ के एकत्व और) द्वित्व अर्थ में (बहुवचन विकल्प करके होता है)।
घ-प्रत्याहारसूत्र IX
भगवान पाणिनि द्वारा अपने नवम प्रत्याहार सत्र में पठित तृतीय वर्ण। .
पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का चौबीसवां वर्ण।
घ:-III. 1. 181
धा धातु से (कर्मकारक में ष्टन् प्रत्यय होता है.वर्तमानकाल में)। घः -V.iii.44
(एक प्रातिपदिक से उत्तर जो) धा प्रत्यय,उसके स्थान में (विकल्प से ध्यमुञ् आदेश होता है)।