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तृफलमायः
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तेमयो
तफलमकापः-VI. iv. 122
तेन -IVill. 101 तु,फल,भज,त्रप्-इन अङ्गों के (अकार के स्थान में तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से (प्रोक्त = प्रवचन किया भी एकारादेश तथा अभ्यासलोप होता है; कित,डित् लिट् हुआ अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)। तथा सेट् थल् परे रहते)।
तेन-IV. iii. 112 ते-I.iv.79
तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से (समान दिशा अर्थ में . वे (गति और उपसर्गसंज्ञक शब्द धातु से पहले होते यथाविहित प्रत्यय होता है)।
तेन -IV. .2 , ते-III. 1.60
तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से (खेलता है,खोदता है,जी(कर्तृवाची लुङ) त शब्द परे रहते (पद् धातु से उत्तर तता है, जीता हुआ' अर्थों में ठक् प्रत्यय होता है)। च्लि को चिण् आदेश होता है)।
तेन - V.i. 36 ते - IV. 1. 172
, तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से (खरीदा गया' अर्थ में उन अजादि प्रत्ययों की (तद्राज संज्ञा होती है)। यथाविहित प्रत्यय होते है)। ते-VIII.1.22
तेन-V.1.77 देखें-तेमयो VIII. 1. 22
- तृतीयासमर्थ (कालवाची) प्रातिपदिक से (बनाया हुआ' तेतिक्ते -VII. iv.65
अर्थ में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है)। तेतिक्ते शब्द (वेद-विषय में) निपातन किया जाता है। तेन - V. 1. 92 तेन -II. 1. 27
तृतीयासमर्थ (कालवाची) प्रातिपदिक से (जीता जा ' (सप्तम्यन्त तथा) तृतीयान्त (समान रूप वाले दो सुबन्त
सकता है'. 'प्राप्त करने योग्य', 'किया जा सके तथा परस्पर इदम् = यह इस अर्थ में विकल्प से समास को 'सुगमता से किया जा सके' अर्थों में यथाविहित ठब प्राप्त होते हैं और वह बहुव्रीहि समास होता है)। प्रत्यय होता है)। तेन -II. 1. 28 .
तेन-v.i.97 ... (तुल्ययोग में वर्तमान 'सह' अव्यय) ततीयान्त (सुबन्त) तृतीयासमर्थ (यथाकथाच तथा हस्त) प्रातिपदिक से
के साथ (समास को प्राप्त होता है, और वह समास (दिया जाता है' और 'कार्य अर्थों में यथासङ्ख्य करके बहुव्रीहिसंज्ञक होता है)।
ण और यत् प्रत्यय होते है)। तेन - II. iv. 62
तेन-V.i. 114 (बहुत्व अर्थ में वर्तमान तद्राजसंज्ञक प्रत्यय का लुक ततीयासमर्थ प्रातिपदिकों से (समान' अर्थ में वति होता है, स्त्रीलिङ्ग को छोड़कर; यदि वह बहुत्व) उसी । प्रत्यय होता है, यदि वह समानता क्रिया की हो तो)। तद्राजकृत हो तो।
तेन-v.ii. 26 तेन -IV. 1.1
तृतीयासमर्थ प्रातिपदिकों से (ज्ञात' अर्थ में चुप और (समर्थों में) जो (प्रथम) तृतीयासमर्थ (रागविशेषवाची) प्रातिपदिक,उससे (रंगा गया' अर्थ में यथाविहित प्रत्यय
चणप् प्रत्यय होते हैं)। होता है)।
तेमयौ-VIII. 1. 22 तेन - IV. 1.67
(पद से उत्तर अपदादि में वर्तमान एकवचन वाले तृतीयासमर्थ प्रातिपदिकों से (बनाया गया' अर्थ में षष्ठ्यन्त, चतुर्थ्यन्त युष्मद्, अस्मद् पदों को क्रमशः) ते यथाविहित प्रत्यय होता है,यदि उस शब्द से देश का नाम तथा मे आदेश होते हैं.(और वे आदेश अनुदात्त होते , गम्यमान हो)।