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च- III. ii. 116
च- III. ii. 148 (ह तथा शश्वत् शब्द उपपद हों तो धातु से अनद्यतन (सोपसर्ग दिव तथा क्रुश् धातुओं से) भी (तच्छीलादि परोक्ष भूतकाल में लङ् प्रत्यय होता है), और चकार से कर्ता हो तो वर्तमानकाल में वज प्रत्यय होता है)। लिट भी होता है।
च - III. ii. 149 च- III. ii. 117
(अनुदात्तेत, हलादि धातुओं से) भी (तच्छीलादि कर्ता (समीपकालिक प्रष्टव्य अनद्यतन परोक्ष भूतकाल में ।
हो.तो वर्तमानकाल में यच प्रत्यय होता है)। वर्तमान धातु से) भी (लङ् तथा लिट् प्रत्यय होते है)।
च III. ii. 151 च - III. ii. 119 (अपरोक्ष अनद्यतन भूतकाल में) भी (वर्तमान धातु से
___ (क्रोधार्थक और मण्डनार्थक धातुओं से) भी (तच्छीस्म उपपद रहते लट् प्रत्यय होता है)।
लादि कर्ता हो, तो वर्तमानकाल में युच् प्रत्यय होता है)। च-III. ii. 122
च-III. 1. 153 (स्म-शब्द-रहित पुरा शब्द उपपद हो तो अनद्यतन भूत
(खूद, दीपी, दीक्ष - इन धातुओं से) भी (तच्छीलादि काल में धातु से लङ्ग प्रत्यय विकल्प से होता है) और कर्ता हो, तो वर्तमानकाल में युच प्रत्यय नहीं होता)। चकार से लट् भी होता है।
च-III. ii. 157 च-III. ii. 125
(जि, दृङ्, क्षि, विपूर्वक श्रिज, इण, वम, नपूर्वक व्यथ, (सम्बोधन विषय में) भी (धातु से लट् के स्थान में शत,
अभिपूर्वक अम, परिपूर्वक भू,प्रपूर्वक षू - इन धातुओं
से) भी (तच्छीलादि कर्ता हो तो वर्तमानकाल में इनि . शानच आदेश होते है)।
प्रत्यय हो जाता है)। च - III. ii. 138
च-III. ii. 164 (भू धातु से) भी (वेद-विषय में तच्छीलादि कर्ता हो तो
(गत्वर शब्द) भी (क्वरप् प्रत्ययान्त निपातन किया वर्तमान काल में इष्णुच् प्रत्यय होता है)।
जाता है)। च- III. ii. 139
च-III. ii. 171 (एला,जि,स्था) तथा चकार से भू धातु से भी (वर्तमान
(आत् = आकारान्त,ऋ = ऋकारान्त तथा गम.हन, काल में कस्नु प्रत्यय होता है, तच्छीलादि कर्ता हो तो)।
जन धातुओं से तच्छीलादि कर्ता हों तो वेद-विषय में च - III. ii. 142
वर्तमानकाल में कि तथा किन् प्रत्यय होते हैं) और (उन (सम्पूर्वक पृची, अनुपूर्वक रुधिर, आयूर्वक यम्, कि, किन् प्रत्ययों को लिट् के समान कार्य होता है)। आङ्पूर्वक यसु, परिपूर्वक स, सम्पूर्वक सृज्, परिपूर्वक
च -III. ii. 176 देव, सम्पूर्वक ज्वर, परिपूर्वक क्षिप, परिपूर्वक रट, परिपूर्वक वद, परिपूर्वक दह,परिपूर्वक मुह,दुष,द्विष,द्रुह,दुह,
(यङन्त ‘या प्रापणे' धातु से) भी (तच्छीलादि कर्ता हो, युज, आयूर्वक क्रीड़, विपूर्वक विचिर, त्यज, रञ्ज, भज,
__तो वर्तमानकाल में वरच् प्रत्यय होता है)। अतिपूर्वक चर, अपपूर्वक चर, आङ्पूर्वक मुष, अभि च - III. ii. 186 आयूर्वक हन् - इन धातुओं से) भी (तच्छीलादि कर्ता (पूज् धातु से ऋषिवाची करण में) तथा (देवतावाची हो तो वर्तमानकाल में घिनुण प्रत्यय होता है)। कर्ता में इत्र प्रत्यय होता है, वर्तमानकाल में)। च- III. ii. 144
च- III. ii. 188 (अपपूर्वक तथा) चकार से विपूर्वक लष् धातु से भी ।
__(मत्यर्थक, बुद्ध्यर्थक तथा पूजार्थक धातुओं से) भी .(घिनुण प्रत्यय होता है)।
(वर्तमानकाल में क्त प्रत्यय होता है)।