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इनित्रिकटाच
इन्... -VI. iv. 12
देखें- इन्हन्पूषार्यम्णाम् VI. iv. 12 इन्-VI.v.164
(अपत्य अर्थ से भिन्न अर्थ में वर्तमान अण प्रत्यय के परे रहते भसज्जक) इनन्त अङ्गको (प्रकृतिभाव हो जाता
इन..-N. iv. 133
देखें-इनौ IV. iv. 133 इन...-VII.1.12
देखें-इनात्स्या : VII. 1. 12 इन -V.iv. 152 (बहुव्रीहि समास में) इन् अन्तवाले शब्दों से (समासान्त कप् प्रत्यय होता है, स्त्रीलिंग विषय में)। इनङ्-IV. 1. 126
(कल्याणी आदि शब्दों से अपत्य अर्थ में ढक प्रत्यय होता है, तथा उसके सत्रियोग से कल्याणी आदियों को) इन आदेश (भी) हो जाता है। इन... -V.1.33
देखें-इनचिटच्० V. 1. 33 इनपिटच् -V.1.33
नि उपसर्गप्रातिपदिकसे नासिकासम्बन्धी झुकाव' को कहना हो तो सज्जाविषय में) इनच तथा पिटच् प्रत्यय होते है,(तथा नि शब्द को यथासक्य करके प्रत्यय के साथ साथ चिक तथा चि आदेश भी होते है)। इनयो - IV.iv. 133
(ततीयासमर्थ पूर्व प्रातिपदिक से 'किया हुआ' अर्थ में) इन और य प्रत्यय होते है,(चकार से ख प्रत्यय भी होता
इनि: -III. 1. 93
(वि पूर्वक क्री धातु से कर्म उपपद रहते भूतकाल में) इनि प्रत्यय होता है। इनिः-III. 1. 159 (प्रपूर्वक जु धातु से तच्छीलादि कर्ता हो तो वर्तमान काल में) इनि प्रत्यय होता है। इनि. - IV.II. 10
(तृतीयासमर्थ पाण्डुकम्बल प्रातिपदिक से 'ढका हुआ रथ' अर्थ में) इनि प्रत्यय होता है। इनि: -V.ii. 61 (द्वितीयासमर्थ अनुब्राह्मण प्रातिपदिक से अधीते या वेद अर्थों में) इनि प्रत्यय होता है। इनि. - IV. ii. 111 (ततीयासमर्थ कर्मन्द तथा कृशाश्व प्रातिपदिकों से यथासक्य भिक्षुसूत्र तथा नटसूत्र का प्रोक्त विषय अभिधेय होने पर) इनि प्रत्यय होता है। इनि: - V. iv. 23 (तृतीयासमर्थ चूर्ण प्रातिपदिक से मिला हुआ' अर्थ में) इनि प्रत्यय होता है। इनि: -V. 1.86
(प्रथमासमर्थ पूर्व प्रातिपदिक से 'इसके द्वारा अर्थ में) इनि प्रत्यय होता है। इनि: - V. 1. 128
(द्वन्द्वसमास-निष्पन्न शब्दों,रोगार्थक शब्दों तथा प्राणियों में स्थित निन्द्य पदार्थों को कहने वाले अकारान्त प्रातिपदिकों से मत्वर्थ' में) इनि प्रत्यय होता है। इनिठनौ - V... 85
(मुक्त क्रिया के समानाधिकरण वाले प्रथमासमर्थ श्राद्ध प्रातिपदिक से 'इसके द्वारा' अर्थ में) इनि और ठन प्रत्यय होते है। इनिठनौ-v.i. 115
(अकारान्त प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' में) इनि तथा ठन् प्रत्यय होते है। इनित्रकटबर - IV. 1.50
(षष्ठीसमर्थ खल, गो, रथ प्रातिपदिकों से समूह अर्थ में यथासज्य करके) इनि, त्र तथा कट्यच् प्रत्यय (भी)
इनात्स्या -VII.1. 12
(अदन्त अङ्ग से उत्तर टा,उसि तथा डस के स्थान में क्रमश) इन्, आत् और स्य आदेश होते है। इनि..-IV. 1.50 "
देखें-इनित्रकट्य IV. 1. 50 ...इनि... - IV. 1.79
देखें-दुष्क IV. 1.79 इनि...-v.1.85
देखें-इनिठनौ V. 1.85 नि..-V. 1. 115 देखें-इनिठनी V.II. 115
होते है।