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आट:
आट: -VI.i.87
आत्-VI. 1.213 आट् से उत्तर (भी जो अच् तथा अच से पूर्व जो आट. (मतुप से पूर्व) आकार को (उदात्त होता है, यदि वह इन दोनों पूर्व पर के स्थान में वृद्धि एकादेश होता है. मत्वन्त शब्द स्त्रीलिंग में सज्जाविषयक हो तो)। संहिता के विषय में)।
आत् -VI. iii. 45 ...आटचौ-v.ii. 125
(समानाधिकरण उत्तरपद रहते तथा जातीय-प्रत्यय परे देखें- आलजाटचौ v. ii. 125
रहते महत् शब्द को) आकारादेश होता है। ...आटौ - III. iv. 94
आत् - VI. iv. 41 देखें - अडाटौ III. iv.94
(विट् तथा वन् प्रत्यय के परे रहते अनुनासिकान्त अङ्ग आढक ... - V.i. 52
को) आकारादेश होता है । देखें - आढकाचितपात्रात् V.i. 52
आत् -VI. iv. 160 आढकाचितपात्रात् -v.i. 52
(ज्य अङ्ग से उत्तर ईयस् को) आकार आदेश होता है। (द्वितीयासमर्थ) आढक. आचित तथा पात्र प्रातिपदिक ...आत्... -VII. I. 12 से (सम्भव है': 'अवहरण करता है' तथा 'पकाता है' देखें - इनात्स्या: VII. I. 12 अर्थों में विकल्प से ख प्रत्यय होता है)।
...आत् ... - VII. 1. 39 आढ्य ...-III. ii. 56 .
देखें - सुलुक-VII. 1. 39 देखें - आढ्यसुभग III. ii. 56
आत् -VII. 1.50 आढ्यसुभगस्थूलपलितनग्नान्धप्रियेषु -III. 1.56
__(वेद-विषय में) अवर्णान्त अङ्ग से उत्तर (जस् को असुक्
आगम होता है)। आढ्य, सुभग, स्थूल, पलित, नग्न, अन्ध, प्रिय-इन । (च्यर्थ में वर्तमान अच्चिप्रत्ययान्त कर्मों) के उपपद रहते आत् - VII.i. 80 (कृञ् धातु से करण कारक में ख्युन् प्रत्यय होता है)। .
अवर्णान्त अङ्ग से उत्तर (शी तथा नदी परे रहते शतृ
प्रत्यय को विकल्प से नुम् आगम होता है)। आत् ... -I.i.1 देखें - आदैन् ।.i.1
आत् - VII.i. 85 ....आत् ... -III. I. 141
(पथिन्, मथिन् तथा ऋभुक्षिन् अङ्गों को स परे रहते) - देखें - श्याव्यधा० III. 1. 141
आकारादेश होता है। आत् ... -III. ii. 171
...आत्... - VII. ii. 67 देखें - आदृगम III. ii. 171
. देखें- एकाजाद्घसाम् VII. ii. 67 आत् -VI. 1.44
आत् -VII. iii.1 (उपदेश अवस्था में जो एजन्त धातु,उसको) आकारादेश
(देविका,शिंशपा,दित्यवाट,दीर्घसत्र,श्रेयस्- इन अङ्गों हो जाता है, (इत्सजक शकारादि प्रत्यय परे हो तो नहीं
के अचों में आदि अच् को वृद्धि का प्रसङ्ग होने पर जित्,
णित् तथा कित् तद्धित परे रहते) आकारादेश होता है। होता)।
आत् -VII. iii.49 आत् -VI.i. 84
(अभाषितपुंसक से विहित प्रत्ययस्थित ककार से पूर्व . अवर्ण से उत्तर (जो एच् तथा एच् परे रहते जो पूर्व का
आकार के स्थान में जो अकार,उसको नपूर्व और अनअवर्ण- इन दोनों पूर्व पर के स्थान में गुण एकादेश होता
पूर्व रहते हुये भी अन्य आचार्यों के मत में) आकारादेश
होता है। आत् - VI. 1. 100
आत् - VII. iv. 37 अवर्ण से उत्तर (इच् प्रत्याहार परे रहते, पूर्व पर के स्थान ।
(अश्व और अघ अङ्गों को क्यच् परे रहते वेदविषय · में पूर्वसवर्ण दीर्घ एकादेश नहीं होता है)।
में) आकारादेश होता है।