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१. प्रथम खण्ड - इसमें १. ग्रन्थनाम, २. कर्ता का नाम, ३. कर्ता के गुरु का नाम, ४. ग्रन्थ का विषय, ५. भाषा, ६. रचना संवत् एवं स्थान, ७. ग्रन्थ का आद्यन्त, ८. मुद्रित है या अप्रकाशित? प्रकाशित है तो जहाँ से प्रकाशित हुआ है उसका स्थान और यदि अप्रकाशित/हस्तलिखित ग्रन्थ है तो किस ज्ञान भण्डार में प्राप्त है इसका संकेत दिया गया है।
इसमें निम्न विषयों के ग्रन्थ सम्मिलित किए गये हैं:- आगम, प्रकरण, उपदेश, विधि, चर्चा, चरित्र, काव्य, व्याकरण, कोष, छन्द, लक्षण, स्तोत्र, रास, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याख्यान, विवाहलो, सन्धि, पूजा, रत्न-मुद्रादि शास्त्र, बत्तीसी, छत्तीसी, बावनी आदि साहित्य कोष का अकारानुक्रम।
इस खण्ड में साहित्य को अकारानुक्रम से रखा गया है।
२.द्वितीय खण्ड - इसमें स्तवन, स्तुति, चैत्यवन्दन, गीत, स्वाध्याय, पद, निसाणी, लावणी, बारहमासा आदि का अकारानुक्रम से उल्लेख किया गया है।
जहाँ प्रथम खण्ड में ग्रन्थ का नाम प्रारम्भ में रखा गया है वहाँ द्वितीय खण्ड में कर्ता का नाम अकारानुक्रम से देकर उस कर्ता की समस्त कृतियों को अकारानुक्रम से दिया गया है। शेष विषय प्रथम खण्ड की तरह से ही रखे हैं।
३. तृतीय खण्ड - इसमें २०वीं-२१वीं शताब्दी के कतिपय विद्वानों के लेखन, अनुदित, सम्पादित, पुस्तकों के नाम अकारानुक्रम से दिये गये हैं। इसमें आद्यन्त का उल्लेख नहीं किया गया है। मुद्रित होने के कारण उन प्रकाशन संस्थाओं के नाम दिये गये हैं।
___ श्री अगरचन्दजी भँवरलालजी नाहटा के पुस्तकों की सूची श्री भँवरलालजी नाहटा के सुपुत्र श्री पदमचन्दजी नाहटा ने और महोपाध्याय श्री ललितप्रभसागरजी एवं महोपाध्याय श्री चन्द्रप्रभसागरजी के साहित्य की सूची जिस रूप में श्री प्रकाशजी दफ्तरी ने भिजवाई थी तदनुसार ही इसमें उल्लेख किया गया है।
इस कोष में क्रमांक ७५२९ तक दिये गये हैं। समस्त ज्ञान भण्डारों का एवं प्रकाशित हस्तलिखित ग्रन्थों के सूचीपत्रों को सम्यक् प्रकार से अवलोकन किया जाए तो यह संख्या ११ या १२ हजार तक पहुँच सकती है।
परिशिष्ट :इसमें तीन परिशिष्ट दिए गये हैं :
प्रथम परिशिष्ट- प्रथम खण्ड में ग्रन्थानुक्रम होने से और द्वितीय खण्ड में कर्ता के पश्चात् कृतियों का अकारानुक्रम होने के कारण केवल कर्ताओं का अकारानुक्रम ही दिया गया है।
द्वितीय परिशिष्ट- इसमें प्रथम खण्ड के स्तोत्र, स्तव एवं स्तुति के रचनाकार कौन है? इसकी जानकारी करने के लिए स्तोत्र आदि के आदिपदों के अनुक्रमणिका दी गई है।
तृतीय परिशिष्ट- इसमें द्वितीय खण्ड के अन्तर्गत स्तवन, गीत आदि साहित्य के निर्माता कौन
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