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________________ ५२२४. बावन वीर किये अपने... ६२९५. बाहुबली चारित लीयउ रे... ६२९६. बिनवै सुनंदा लांडिली संगीता... ५२६७. बीकपुर तखत महाराज मोरै वखत... ३९६७. बीज आराधो भविजना... ४८२३. बीजउ मंगल मनि धरउ... ५९०१. बीजउ मंगल मनि ध्याइयइजी... ७१०२. बीया आवइ गुरु मनतु भावइ... ३३८२. बुद्धिमती तूं... ५७५५. बूझो रे तू प्राणी... ६४५५. बूझी रे तू बूझि प्राणी... ६८१४. बूढा ते पिण कहियइ बाल... ६४६९. बेकर जोडि वीनवु रे... ६७३३. बेकर जोडी वीनवु रे... ४७४८. बेकर जोड़ि साहिबा अरज... ६४३६. बेडूली मेरी री तरइ नीर विचार... ६५७७. बे मेव रे काहे री सेव रे... ६४८४. बैठि तखत्त हुकम करइ... ५४४५. बोधा लोक न समझत ग्यानं... ६२८२. भक्तों के तारणहार... ४७४९. भगवंत भजउ सगला भ्रम भाजइ... ६६८४. भड़कुल भेटियउ हो... ६२८१. भज भज भज मन जिनवर देवा... ३२७७. भजय न क्यों भगवान्... ३२७०. भज रे जीव निरंजन भोला... ६१६९. भजि भजि भजि भगवंत... ४६७६. भजि भजि रे मन तूं दीनदयाल... ३४८२. भट्टारक जिनभद्र खरउ.... ६७४८. भट्टारक तीन हुए बडभागी... ६५४४. भट्टारक तुझ भाग नमो... ६५४५. भट्टारक तेरी बड़ी ठकुराई... ६६७४. भणउ रे चेला भाई भणउ रे भणउ... ४७५०. भय भंजण श्री भगवंत जी... ३६८४. भया दउडीय गउडीय पास... ४९७७. भये क्यों आप सयान अयान... ४९४१. भर यौवरभरि नेमि... ४२५८. भ्रम भूलउ ता बहुतेरउ रे... ३२९३. भल आई होरी भल आई होरी... ३२९४. भल आई होरी रस रंग भरी री.... ६६८०. भलइ आये पर्युषण पर्व री... ४०७०. भलइ नगर श्री भेहरइ... ३७३४. भलइ पास फलवधि सकल... ६६८५. भलइ भेट्यो रे पास जिणेसर थंभणउरे... ६३९०. भलइ री भलइ आज पूज्य पधारइ... . . ६४००. भलइ री भलइ आज पूज्य पधारइ..... ५५४९. भलई भाव भगति... ६६८२. भले भेट्यउ पास अमीझरउ... ५७३७. भले रावण निरति वणावइ हे... ६७८६. भले री माई श्रीजिनचन्द्रसूरि आए... ४८९२. भलै ऊगउ दिवस प्रमाण... ४४९१. भलै रावण नित्य वणावै... । ३१७१. भलो देव मन भायों चिंतामणि... ६२४१. भलौ वण्यो मुखड़ा नो मटको... ५४०२. भव की मंजिल... ६७४९. भवदत्त भाई घरि आवियउ रे... ५४२८. भव भय त्राणं... ६२०६. भव भय भंजन... ५४०६. भव भव की तू प्यास... ४१८९. भवसागर तरिवा तणी... ६१८८. भवसागर है... ४२१८. भविकजन ते धन जे जिन पूजा... ४८११. भविक मन कमल विबोध दिणंदा... ४१०४. भविका श्री जिनबिंब जुहारो... ५८२९. भविजन पूजो बड़े... ४१२१. भविजन वंदो श्री जिनवर पाया... ३६०२. भवि तुम्हे वंदो रे शीतल जिनपति रे... ४३६३. भवियण उपगारह भणी... ४२८३. भविय जण नयण वणखंड पडिबोहगं... ४२१९. भवियण तुम धर्म समाचरउ... ३९८५. भवियण ध्यावो रे... ५२७०. भवियण भाव धरि ने भेटौ... ६३२५. भवियण सुणिये रे नंदीसूत्रजी... ६३२६. भवि वंदौरी शिवानंद जिणेसर... ३९२९. भवीयां भावधरिने भेटो भगवानने... ५९८ तृतीय परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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