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________________ ५५०७. पावा परमपुरी तुम्ह पय परस्यां... ४११८. पावापुरी महावीर... ४११७. पावापुरी महावीर जिणेसर... ४४३८. पास गौड़ी धणी... ५५८९. पास गौडी धणी.... ५८५४. पास जिणंद जुहारिया... ५८९९. पास जिणंद जुहारिय... ४५५९. पास जिणंद मन मोह्यो... ६३२९. पास जिणंदा प्रभु कि बलिहारी रे... ६३३८. पास जिणिंदा प्रभु की बलिहारी रे... ६३३०. पास जिणंदा प्रभु मेरे मन वसिया... ६४३४. पास जिणेसर जग तिलो... ४७४५. पास जिणेसर तुं परमेसर... ५८२१. पास जिणेसर तूं जयउ रे लाल... ४०३५. पास जिणेसर पूजियइ... ४२०१. पास जिणेसर पूजीयइ... ७०७२. पास जिणेसर पूजीयइ... ७०६८. पास जिणेसर पूजिये... ६३३९. पास जिणेसर वंदियै... ४७४६. पास जिणेसर वीनती रे... ५३१८. पास जिणेसर साथी... ५३२०. पास जिणेसर साथी... ३७३७. पास जिणेसर सेवीयइ... ५६९४. पास जिणेसर सेवियइ... ४५०२. पास जिन आस पूरउ.... ३९६१. पास जिनराया वामा जाया... ३८३९. पासजिन सुजिन मन वचन कायाकरी... ४४५०. पास जिनेश्वर तूं जयो... ४३४६. पासजी की मूरति मो मन भाई... ५८७२. पास जी मन मान्यो हमारे.. ४२०४. पास सुणो मोरी वीनती... . ३९५१. पास सोभागी हो जिनजी... ४८९१. पिउडा आवउ हो मन्दिर आपणे... ६८७७. पिउडा मानउ बोल हमारउरे... ४२६८. पिउ कइ गवणि खरी अकुलाणी... ५६७१. पियउ पियउ इण प्रीतम... ५००६. पिय बिन में बेहाल करी री... ४७२०. पियाजी आय मिलउ एक बेर... ४९७६. पिया बिन एक निमेष रहूं नी... ४९१०. पिया विंशतिनाथ मंगल आरति. ४७८१. पिया सुंदर मूर्ति गुण सरी... ४७२२. पीउ चाल्यो हे पदमणी... ४८४४. पीउ चाल्यो हे पदमणी... ४१८४. पीउ जब छोरि चलै परदेसै... ६६२७. पुंड्रवर्द्धन पुर राजियउ म्हांकी... ४९२३. पुण्डरीक गणधार... ६८८६. पुण्य न मूंकइ विनय न चूकइ... ५२१८. पुण्य परकास परभात प्रगट्यौ प्रगट ५८३७. पुण्य योग से आई... ६५५४. पुण्य संजोगइ अम्हें सद्गुरु पाया... ६५१७. पुत्री सेठ धन्ना तणी... ६९९४. पुरषादेय उदय करु... ६३९७. पुरसादेय प्रधान ध्यान तुमारहो... ५७८५. पुरसादाणी पास जिण... ४२८५. पुरसादाणी पास जिण... ५९८४. पुसरादांणी हो पास जी... ३५५३. पुरिसादाणीय पासनाह... ४४९४. पुरिसादाणी हो.... ४४९५. पुरिसादाणी हो पास जुहारियइ... ६७१०. पुरिसादानी परगड़उ... ६७१३. पुरिसादानी पास... ६५२४. पूर्वी पंडित कहउ का हकीकत... ३९१६. पूछे सोमचन्द.... ५४८७. पूजउ माइ संभवनाथ... ५६१९. पूजजी पधारया रे... ३३१८. पूजजी पधारया मारु देश में... ३३९६. पूज पूज जिन... ४०००. पूजवा कारण आव्या... ३६३२. पूजवा चाली रे सुगुरुने... ६१४०. पूजि मन कुशल सूरिंदा... ६१२७. पूजो नित चित.... ६१४३. पूजो नित चित लाय मनां रे... ४३८५. पूजो पास जिणेसर प्यारो... ५२७९. पूजो पास जी परता पूरै... खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International ५९५ www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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