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________________ ६३१०. दादा श्रीजिनकुशलगुरु... ६२१०. दादा श्री जिनचन्द्र.... ६४०९. दादा सा म्हाने... ५८११. दादासा री महिमा... ४१७२. दादोजी दीठां.... ४३६८. दादोजी परतिख... ५९७५. दादोजी परतिख... ४३७६. दादो जी परतिख देवता... ६५३०. दादो तो चिन्ता... ६५३२. दादो तो दरसण दाखइ... ४१०२. दादो जैसलमेर... ५६३६. दादो दउलति दइ.... ५६०५. दादो दीपतो... . ५२०७. दादो देरावर... ४१७५. दादो सेवकां... ४१७७. दादो सेवकां सुखपूरइ... ३७६५. दान वडउ जगमइ काउ जी... ६१०६. दान सीयल तप भावना.... ३८४९. दायक सिर सिद्धां... ५११०. द्वारिकानगरी ऋद्धि समृद्ध... ३७०२. दिन दिनइ दरसन ताहरउ... ३३९१. दिन चंचल को काबू... ५०१५. दिल भाया मैंडे सांई... ५२५१. दिल शुद्ध प्रणमुं नेमि... ७०७९. दिल्ली से उठी दादा... ७१३०. दिवाने गा-गा... . ६७४३. दीक्षा ले सुखी पाली जइ... ३२४८. दीजीयै वधाई श्री महाराज... ४२४२. दीठा गोयम गोचरी जी... ३९७०. दीठा भोयणी गाम मझारा... ६६७१. दीप पतंग तणी परइ सुपिया हो... ५५२१. दीपे वडली में... ६०२९. दुनिया चाहइ... ६०८९. दुनिया चाहइ दौ सुलतान... ६९७२. दुविधा करम भरम की दासी... ६०९९. दूरि थकि म्हे आविया हो लाल... ६६६३. दूर थकी मोरी वंदणा... ४४३७. दूर देश थी आविया... ७१३८. देखउ माई... ७१३६. देखउ माई आसा मेरइ मन की... ६६४५. देखउ सखि नेमि कत आवइ... ४३५२. देखऊ माई पूजा मेरे प्रभुजी.... ७०८३. देख बंगला... ६५९८. देखि देखि जीव नटावइ... ५५६८. देखो कलयुग... ५५३२. देखो देखो माई... ५५४५. देखो दरिशन... ४५०७. देखो मूरख प्राणिया... .. ५७५८. देखो मूरख प्राणियां... ५५६७. देखो री कर्म तणी गति... ३३६५. देख्यां मैं दरस... ४४१४. देख्यो दरसण... ४५२४. देख्यो दरसण विमलाचल तणो... ६१६५. देख्यो री माई शिखर गिरिंद का... ७०३९. देख्यो री मुख चन्दा... . ५२१७. दे कार करण धर्म राखै.... ३९०१. देदो जी दे दो... ३२३६. देरांणी जेठांणी दो ये बहु झगरी री... ६५३५. देरावर ऊंचउ गढ... ५९५१. देरावर थांरो... ६५३६. देरावर दादो दीपतौ रे... ५९७३. देरावर रो... ४२००. देव अनेक अछै संसारइ... ६६९२. देवकर पाटण दादउ पास... ६६९८. देव जुहारण देहरइ चाली... ६८०७. देव जुहारण देहरइ चाली... ३५४३. देस सकल सिर सोभतो... ४०९१. देव सकल सिर सेहरौ लाल... ४०९२. देव सकल सिर सेहरौ लाल... ५२६३. देवां ना पिण जेह छै देव... . ६१८७. देवा ओ गुरुदेवा... ३१३२. देवी चकेसरी संघ सकल आधार... ३८५३. दोइ पुरुष नइ रमणविचार... ६०५४. दोस्ती गुडी... ५९० Jain Education International तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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