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________________ ४१५४. एक घड़ी मन समरि.... ६६७७. एक तूंही तूंही नाम जुदा मूंहि मूंहि.... ५५६९. एकदा आभरण पहरनइ... ६८८७. एक नारी वन मांहि उपन्नी.... ६७५३. एक मन शुद्धि बि कोउ मुगति... ५१४९. एक मना समरं सरसति... ६६३८. एक वीनति सुणउ मेरे मीत हो.... ५१०२. एक संदेसो पंथी माहरो .... ६३१६. ए जिनवर चउवीस नमौ... ६१५६. एजी भवसिंधु तें प्रभुजी तारा... ६७८२. एजी संतन के मुख वाणी सुनि... ६५९३. एजु लाहोर नगर वर पातिसाहि अकबर... ६६३९. एतनी बात मेरे जीउ खटकइ री... ३२०० एतौ हरख सै आई होरी रे .... ५१८१. ए धन सासन वीर जिनवर तणो... ६९१७. ए मेरउ साजणीयउ सखि सुन्दर .... ४४८७. एवड़उ ज्ञान करउ छौ .... ६५९९. ए संसार असार छइ... ४५३४. ए समकित नित... ३२२३. एसै जिनराज आज नैन से निहारे... ३१४०. ए होरी भाव भले आयो... ३२४४. ऐरी मेरो पिउ गिरिंद पै गयो.... ३१२७. ऐसे कही जाए कैसे... ३२१८. ऐसे कुशल सुरिन्द... ३२०७. ऐसे कुशलसूरिंद नीके रंग..... ७०२२. ऐसे गुरु ध्याऊं... ५७०१ . ऐसे यह मण्डप मई विराज ... ३५४६. ऐसे श्याम सलूने खेलत नेमकुमार.... ५९८२. ऐसे सहिर विच कौण दीवांण है.... ६६००. ऐ सारा जाण असार संसार... ३२३८. ऐसे सोए नींद में आणंद भरी रे.... ३१११. ओं अक्षर उर में धरी... ७०९५. ॐ अर्हं जय है गुरुदेव ... ५८८५. ओंकार बड़ो सब अक्षर में... ५०८२. ओ दादा देव... ६१८४. ओ निरंजन निर्ग्रन्थ... ५४०३. ओ रे जिनदत्त... ५७८ Jain Education International ५७९०. ओलगड़ी अलवेसर... ५५९८. ओलगड़ी ओलगड़ी.... ५९३४. ओ लाल श्री जिनकुशलसूर..... ६२८३. ओ शान्ति जिनेश्वर शान्ति करो... ४९६३. औगुन किनके न कहिये रे भाई... ६६५६. और देखले ऊंचउ गिरनारि... ६८३३. कइयइ मिलस्यइ श्रावक एहवा... ४२४६. कइसड़ सासकउ बेसास... ४२९६. कउण धर्मकउ मरम लहइ री... ६८४१. कंपिल्लानगरी धणी.... ४७७४. कंसारी पास अरज सुणहु... ४५३५. कठिन करे इसे आचारज... ६७०१. कनक सिंहासन सुर. रचिय... ५३९८. कब तक मै सहूं.... ३३५१. कबलों कहूं गुरु... ४३११. कबहु न कर री माई मीत विदेसी... ६४८७. कबहु मिलइ मुझ जउ करतारा... ४३२०. कबहूं मइ नीकइ नाथ न ध्यायउ .... ६६४०. करई प्रीति जोड़इ हां नेमि जी.... ५२७७. कर जोडि कामण कहै हो .... ४००३. कर जोडि वर पय कमल... ४२६१. कर जोड़ी हम वीनव... ५७८६. कर सामायिक... ५२३५. करण अधिक कल्याण... ६३५२. करण दोय इक बालधीरे..... ५१८५. करणी पर उपगार की... ७१०४. करणादे कूखे ऊपना... ५६८३. करत निरति सूरियाभ... ४५४२. करत नृत्य सूरियाभ... ६८४०. करम अचेतन किम हुयउ करता.... ५३८२. करि करि कंकण खलकत जाणी... ५२८५. करिज्यो मत अहंकार... ३६७७. करि धोती धूनी धुनइ ए... ४३४५. करिवउ तीरथ तउ मूंकी रथ... ३६७८. करीजइ न्हवण रु जिनेश्वर अंगइ... ५०२१. करी मोहि सहाय... ५६२०. करुणाकर जिनवर .... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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