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६८४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती नर्मदा सुन्दरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि-नरमदा सुन्दरी सतिय शिरोमणि... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ३२३ ६८४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती दवदंती भास, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-हो सायर सुत सुहामणा... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ३२८ ६८५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती मृगावती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, 'आदि-चन्द सूरज वीर वांदण आव्या... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ३३६ ६८५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती सुभद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___'आदि-मुनिवर आव्या विहरता जी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४२ ६८५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सनत्कुमार चक्रवर्ती गीत, गीतं स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-जोवा आव्या रे देवता... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१९ ६८५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सनत्कुमार चक्रवर्ती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-सांभलि सनत्कुमार हो राजेश्वरजी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ३१८ ६८५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सर्वभेष मुक्तिगमन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, आदि-हां बाई हर कोउ मोख मुगति पावइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ४३९ ६८५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सांझी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि
सांझि रे गाई सांझी रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९३ ६८५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, साधु गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-तिण साधु के जाऊं बलिहारे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७४ ६८५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, साधु गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-धन्य साधु संजम धरइ सूधउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७५ ६८५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन आंगी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-नीकी प्रभु आंगी वणी जो... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २२२ ६८५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-जग गुरु तारि परम दयाल... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२२ ६८६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-प्रभु तेरो रूप वण्यौ अति नीको... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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