________________
६५७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-जिनसिंघसूरि की बलिहारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९९ ६५७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-चिहुं खंडि चावा चोपड़ा... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८६ ६५७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
- 'आदि-तुम चलहु सखि गुरुवंदण... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९८ ६५७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-पंथियरा कहिजो एक संदेश... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०० ६५७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-प्रह ऊठी प्रणमु सदा रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८७ ६५७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-बे मेव रे काहे री सेव रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९३ ६५७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-बलिहारी गुरु वदनचन्द बलिहारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०१ ६५७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-मारग जोवंता गुरुजी तुम्हें भलइ आए रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ३९६ ६५८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-मुझ मन मोहयो रे गुरुजी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८७ ६५८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
_ 'आदि-ललित वयण गुरु ललित नयण... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०० ६५८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-श्री आचारिज कइयइ आवस्यइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९५ ६५८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-श्रीजिनसिंघसूरिंद जयउ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९९ ६५८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-सद्गुरु सेवउ हो शुभ मतियां... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९० ६५८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-सुणउ री सुणउ मेरे सद्गुरु वयणा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८९ ६५८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-सुन्दर रूप सुहामणउ रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८८
480
खरतरगच्छ साहित्य कोश
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org