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५९०३. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, मंगल गीत चतुर्थ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___'आदि-धरम खरो जिनवर तणो... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७, २८३६३ (७०) ५९०४. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुगुरु मेरउ कामित कामग वी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, ___ पृ. ४३२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२३ ५९०५. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
__ १७वीं, 'आदि-पावसि नाथन ज्युं गुरु गाजइ बे... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५९०६. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-युगवर श्री जिनचन्दजी... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३१ ५९०७. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, संभव जन्माभिषेक वृद्ध स्तवन, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं जैसलमेर, 'गा. २५', अ. ५९०८. रत्नराज / रत्नसुन्दरगणि, बावीस अभक्ष निवारण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७३९ से
पूर्व, 'आदि-प्रणमुं भावई श्री आरिहंत... गा. २७', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३,
पृ. १३३१ ५९०९. रत्नविशाल / गुणरत्न उ०, मुलतान पार्श्व पांच समवाय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१६८२, 'आदि-नमिर सुर असुर नर... गा. ३१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र.,
जोधपुर २९८१३ (१४१) ५९१०. रत्नसागर, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-हाँ रे मोरा आदि जिणंद
देव... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५९११. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-म्हें तो सेवक दादा... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१७ ५९१२. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
- 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरु... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१८ ५९१३. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
___ 'आदि-श्री जिनचन्दसूरि... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१८ ५९१४. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-श्री जिनदत्त जुहारा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८८ ५९१५. रयण साह, जिनपतिसूरि धवल गीत, ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, 'आदि
__वीर जिणेसर नमइ सुरेसर... गा. २०', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ६ ५९१६. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-अलवेसर आज भले...
गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१९
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