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________________ ५६१२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं-१८वीं, 'आदितनिके आज सुधन दिन... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६१३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मरुधर देसे मण्डणो बीकानेर... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३०, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६१४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-महल दिउ गिरुवा गुरु महिर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द्र सूरीश्वर गावो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६१६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सकल सूरिसर पय... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सहियां मोरी बड़ भागी... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-परम संवेगी परगडौ... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन " काव्य संग्रह, प.४३१, अ., ह. जिनभद्रसरि ज्ञान भं.. जैसलमेर. गटका नं. ४१६ ५६१९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पूजजी पधारया रे... गा.८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., - जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६२०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-करुणाकर जिनवर... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६२१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, __.१७वीं-१८वीं, 'आदि-गावइ अपछरा... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६२२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरति सूरति मोहनगारी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 409 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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