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________________ ५२७९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४३, _ 'आदि-पूजो पास जी परता पूरै... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९६ ५२८०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२९, 'आदि-महिमा मोटी महीयलै... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९५ ५२८१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३०, 'आदि-लुलि लुलि वंदो हो तीरथ... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९५ ५२८२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वीस विहरमान स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२९, 'आदि-वंद मन सध विहरत भाण... २६'.म.,धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, प. २९५ ५२८३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैद्यक विद्या, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४०, 'आदि शंकर गणपति सरस्वती... गा. २१', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १३८ ५२८४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि काया माया कारिमी... गा. ६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६९ ५२८५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि करिज्यो मत अहंकार... गा. ११', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७२ ५२८६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि जोवनियो जायै छै जी... गा ५', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७१ ५२८७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६७, 'आदि-महिमा मोटी त्रिभुवन माहे... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०८ ५२८८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरब ___ पूरब सुकृत तीये किया... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७९ ५२८९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय वृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, · · 'आदि-तीर्थ सैनूंजै जी रहिवा मनरंजै... गा. १४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७७ ५२९०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय वृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-सैजूंजै नायक वीनति सांभलौ... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७५ ५२९१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय महिमा सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-रतन में जैसे हीर... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८० ५२९२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि विमलगिरि क्युं न भये हम मोर... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८० ५२९३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सेवो भाई सेवो भाई शान्तिजिन सेव रे... ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८४ खरतरगच्छ साहित्य कोश 385 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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