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५१८०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, आबू तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
___ 'आदि-आबू आज्यो रे आबू आज्यो... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१२ ५१८१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, आलोयणा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
___ 'आदि-ए धन सासन वीर जिनवर तणो... गा. ३०', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९० ५१८२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, उपदेश निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि
__ मोह बसै केइ मानवी... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ.७० ५१८३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि
त्रिभुवन नायक ऋषभ जिन... गा. १६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७२ ५१८४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, औपदेशिक पद २९, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
___'आदि-ज्ञान गुण चाहै तो... गा. ९३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ८१-९४. . ५१८५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, कवित्त सवैया अन्तर्लपिकादि, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१८वीं, 'आदि-करणी पर उपगार की... गा. १८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५४ ५१८६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गुरु शिक्षा कथन निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी,
__ १८वीं , आदि-इण संसार समुद्र को... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६७ ५१८७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
___'आदि-आज भलै दिन ऊगौ जी... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०२ ५१८८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
'आदि-आणी आणी अधिक उमाह... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०३ ५१८९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
__'आदि-जगि मांगै पास गौडी... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०४ ५१९०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
___ 'आदि-मूरति मन नी मोहनी... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९९ ५१९१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौतम स्वामी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
'आदि–प्रह सम आलस तजि परौ... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२६ ५१९२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चन्द्रपुरी शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७२० , 'आदि-जननायक जिनवर... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८४ ५१९३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौदह गुणस्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७२८, 'आदि-सुमति जिणंद सुमति दातार... गा. ३४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली,
पृ. २७८ ५१९४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौरासी आशातना स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
'आदि-जय जय जिण पास जगत्र धणी... गा. १८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २८४
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