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४४४९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन अन्तर गर्भित स्तवन,
गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्रीश्रुतदेवि नमी करि... गा. २५', अ., ह.
जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन नाम स्तवन, गीत
स्तवन, राजस्थानी, १७१३, आदि-पास जिनेश्वर तूं जयो... गा. १९', अ., ह. जिनभद्रसूरि
___ ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, विनय. प्रतिलिपि ४४५१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस दण्डक गर्भित स्तवन, गीत
स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पणमिय वीर जिणेसर पाय... गा. ७', अ., ह.
जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४५२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि पद, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सेवो चित लाई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर
. ४४५३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि अवदात, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं सिवाणा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४५४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आज फल्यो म्हारइं आंबलो रे...७', मु., ऐतिहासिक जैन
काव्य संग्रह ३१६ ४४५५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-तूंही तूंही ध्यान तुहारो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान
भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ते अपनो विरुद श्रीजिनचन्द सूरिन्द को... गा. ४', अ., ह.
जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७१२, आदि-परम संवेगी परगडो रे... गा. १३', अ. ४४५८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'सकल भविक जन सांभलो रे...७', मु. ४४५९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सुगुरु मेरी हो सद्गुरु पूरण... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि
ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४६०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनप्रतिमा स्थापना गीत, गीत
स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५
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