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क्षेमहंसगणि, गुणरत्नोपाध्याय, चारित्रवर्द्धन, महिमसिंह, विनयचन्द्रगणि, समयसुन्दरोपाध्याय, सुमतिविजय आदि की टीकाएं। शिशुपालवध पर चारित्रवर्द्धन, धर्मरुचिगणि, ललितकीर्तिगणि, समयसुन्दरोपाध्याय (केवल तृतीय सर्ग) आदि ग्रन्थ । नैषध काव्य पर चारित्रवर्द्धन और जिनराजसूरि की टीकाएं प्राप्त है। खण्डप्रशस्ति लघुकाव्य पर गुणविनयोपाध्याय की टीका प्राप्त है।
___जिनदेवसूरि कृत शिलोञ्छनाममाला कोष और साधुसुन्दरोपाध्याय कृत शब्दरत्नाकर कोष आदि प्राप्त हैं। टीका ग्रन्थों में महाकवि महेश्वर कृत शब्द-प्रभेद पर ज्ञानविमलोपाध्याय, कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र रचित अभिधान चिन्तामणि नाममाला, शेषसंग्रह, निघण्टु नाममाला और जिनदेवसूरि कृत शिलोञ्छनाममाला पर श्रीवल्लभोपाध्याय की टीकाएं प्राप्त है। धर्मवर्द्धन उपाध्याय की अमरकोष टीका, साधुकीर्ति उपाध्याय की विशेष नाममाला टीका, सहजकीर्ति उपाध्याय का सिद्ध शब्दार्णव कोष भी प्राप्त है।
अलङ्कार के ग्रन्थों पर भी प्रमुख-प्रमुख टीकाएं प्राप्त हैं:- गुणरत्नोपाध्याय और क्षमामाणिक्य कृत काव्यप्रकाश टीका, वाग्भटालङ्कार पर उदयसागर, क्षेमहंस, जिनवर्द्धनसूरि, ज्ञानप्रमोद, राजहंस, समयसुन्दरोपाध्याय, साधुकीर्ति उपाध्याय, मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं। इनके अतिरिक्त उदयचन्द का अनूप शृङ्गार और पाण्डित्य दर्पण, मन्त्रि मण्डन का अलङ्कार मण्डन, ज्ञानमेरु का कविमुखमण्डन, महिमसिंह का रसमञ्जरी आदि ग्रन्थ भी प्राप्त है।
विदग्धमुखमण्डन पर विनयसागरोपाध्याय, शिवचन्द्रोपाध्याय, श्रीवल्लभोपाध्याय, जिनप्रभसूरि, मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं प्राप्त है।
छन्दशास्त्र पर जिनेश्वरसूरि कृत छन्दोनुशासन, जिनप्रबोधसूरि कृत वृत्तप्रबोध, धनसागर कृत छन्दोरहस्य और वृत्तरत्नाकर पर समयसुन्दरोपाध्याय, क्षेमहंस और मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं प्राप्त है। इनके अतिरिक्त लाभवर्द्धन का छन्दोऽवतन्स, कुशललाभोपाध्याय का पिंगलशिरोमणि, ज्ञानसारोपाध्याय का मालापिङ्गल आदि भी प्राप्त है।
प्रश्नोत्तर काव्यों में जिनवल्लभसूरि कृत प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतक और पुण्यसागरोपाध्याय की टीका, साधुसुन्दरोपाध्याय कृत स्वोपज्ञ टीका सहित प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतक, विनयसागरोपाध्याय कृत प्रश्नोत्तरशत काव्य आदि प्राप्त हैं।
चित्रकाव्यों में श्रीवल्लभोपाध्याय कृत सहस्रदलकमल गर्भित अरजिन स्तव स्वोपज्ञ टीका सहित, सहजकीर्ति उपाध्याय कृत शतदलकमल गर्भित पार्श्वनाथ स्तोत्र और स्फुट चित्रकाव्यों में अनेक कविओं के चित्र काव्य प्राप्त हैं।
___ अनेकार्थी साहित्य पर राजानो ददते सौख्यम् के प्रत्येक अक्षर पर एक-एक लाख अर्थ करने वाले महोपाध्याय समयसुन्दर कृत अष्टलक्षी, जिनप्रभसूरि कृत हैमानेकार्थ कोष टीका, विनयसागरोपाध्याय कृत अविदपद शतार्थी आदि, एवं समयसुन्दरोपाध्याय कृत मेघदूत प्रथम
प्राक्कथन
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