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३८७८. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं,
___'गा. १२', विनय. प्रतिलिपि . ३८७९. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, पंचतीर्थी नमस्कार स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश,
१५वीं, 'आदि-सुविहाणं जइ आज मई... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८०. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं,
'आदि-करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ३८८१. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, महावीर वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, आदि
जय जय वीर जिणेसर देव... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८२. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, वीतराग वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि
त्रिलोकी तलानंद संदोह दाया... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८३. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, वीतराग स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि
जय जय जिण सुसन्नयण... गा. १९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८४. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, शान्तिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५०३,
'आदि-श्रेय शांति सुख संपदकारी... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८५. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तम्भन पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं,
'आदि-सोहग सुंदर सविहिं रूडउ... गा. ७', अ. ३८८६. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-सब नमइ... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२४ ३८८७. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, छिन्नु जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-नमवि गुणरगण गणे भरिय जिणवर...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३८८८. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-सयल सुकोमल सुंदर... गा.७', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ३८८९. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीतं स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-सुर असुर इन्द चन्द...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९०. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-पणमिय जिणवर पाय पौम...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९१. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चौबीस जिन गणधर संख्या स्तवन, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १६५६, ‘गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९२. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-सब नमइ चक्रवर्ती जिनचन्द्रसूरि... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ११८
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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