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३८३१. चिदानन्द (कपूरचंद ) / चुन्नीजी, पुद्गल गीता, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ' आदि - संतो देखीए बे परगट पुद्गल जाल तमासा..., अन्त- बाल जीवकुं अति उपगारी...', मु., , चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग - २, पृ. ३२
३८३२. चिदानन्द (कपूरचंद ) / चुन्नीजी, हित शिक्षा रूपदोहा, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३३९
३८३३. चुन्नीदास, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ' आदि - गुरुदेवजी का ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९९
३८३४. छोटेलाल, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव हमारे.... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५००
३८३५. जयकर्ण, चौबीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८३६. जयकीर्त्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिकीर्त्तिरतनसूरींदा वंदै... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४११
३८३७. जयकीर्त्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिसोहे गुरुनगर महेवो... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४११
३८३८. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हां हो रे देवा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४८
३८३९. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, पार्श्वनाथ स्तवन ( ८४ योनि संकलना गर्भित ), गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि- पासजिन सुजिन मन वचन कायाकरी... गा. १६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५, (३३५)
३८४०. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, जिनराजसूरि रास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८१ जेसलमेरु, अ. ३८४१. जयकीर्तिगण / अमृतसुन्दर उ०, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री संघ करइ अरदास हो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ३३४ ३८४२. . जयचंद (जयविमल ) / सकलहर्ष, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६३, ' आदि-आदिकरण अलवेसर नाभिनंदन...', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह
३८४३. जयचंद ( जयविमल ) / सकलहर्ष, ज्योतिष कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - वर द्यौ मात सरस्वती वीनति...', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह
३८४४. जयचंद (जयविमल ) / सकलहर्ष, तीर्थंकर स्तवनादि स्फुट संग्रह १०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह
३८४५. जयचंद ( जयविमल ) / सकलहर्ष, सर्वदर्शन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- संतौ सगतै मांडी पेट भराई... गा. ४०', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह
३८४६. जयचंद (जयविमल) / सकलहर्ष, सीता स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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