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३०८४ हैमलिङ्गानुशासन दुर्गपदप्रबोधटीका (हेमचन्द्रीय), श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०,
व्याकरण, संस्कृत, १६६१ जोधपुर, 'आदि-स्वस्तिश्री दायकं..., अन्त-श्रीजिनेश्वरसूरीन्द्र...', मु. हीरालाल सोमचंद मांगरोल, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३२७, अं. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं.
खम्भात. ३०८५. हैमलिङ्गानुशासन अवचूर्णि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत,
१७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर
प्रथम खण्ड समाप्त
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