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________________ ३०३१. स्थूलभद्रगुणमाला महाकाव्य, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १६८० संग्रामनगर (सांगानेर), 'आदि-नमो विघ्नच्छिदेऽजाय शम्भवे..., अन्तपूर्णाष्टरसचन्द्राब्दे... श्लो.-२९५', मु., शारदाबेन चि. एज्युकेशन रिसर्च सेन्टर, अहमदाबाद, ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, विजय हिमाचलसूरि ज्ञान भं., घाणेराव ३०३२. स्थूलिभद्र दोहा, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-जो जिण शासणि कमल वणि हंस..., अन्त-थूलिभद्द मुणिवरु जयउ... गा. ८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३२ ३०३३. स्थूलिभद्र छन्द, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, आदि-मेरु समाणु जु सील पसिद्धौ..., अन्त-गुणवन्त श्री तिलौ निलौ... गा. २५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३२-४३४ ३०३४. स्थूलभद्र फागु, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि पणमिय पास जिणंदपय..., अन्त–खरतरगच्छि जिनपदमसूरि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ११ ३०३५. स्थूलभद्र चौपई, चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, रास चौपई, राजस्थानी, १८२४ अजीमगंज, अ., ह. जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३०३६. स्थूलभद्र चौपई, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणेसर प्रणमिय पाय..., अन्त-ए मुनिवर तणउ लीयइहो नाम...', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३०३७. स्थूलभद्र रास, कमलमन्दिर / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, रास, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि गोयम गणहर पणमिय पाय... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४१६ ३०३८. स्थूलभद्र रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, आदि इणिही ज भारत क्षेत्र माइ रे लाल..., अन्त–निधिबाण रिषि शशि वछरई...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ३०३९. स्थूलभद्र रास, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४४, अ. ३०४०. स्थूलभद्र रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२२, 'आदि–सिरि सरसति सामिणि केरा प्रणमूं पाय..., अन्त-एणी परि श्री थूलिभद्र पालइ...', अ., ह. महावीर विद्यालय, बम्बई, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८४४ ३०४१. स्फुट प्रश्नोत्तर, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १८वीं, मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ३०४२. स्फुट प्रश्नोत्तर, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १७वीं, अ. ३०४३. स्याद्वादपुष्पकालिकाप्रकाश स्वोपज्ञ टीकासह, चारित्रनन्दी / नवनिधि, न्यायदर्शन, संस्कृत, १९१४, 'आदि-नत्वा संयमवामेयं गुरुं नौ..., अन्त–स्याद्वार पुष्पकलिका...', अ., ह. सिद्धक्षेत्र 228 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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