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२९५१. सिद्धान्तसारोद्धार (कुमतिकदली कृपाणिका चौपई), कमलसंयमोपाध्याय
जिनवर्धनसूरि, चर्चा, राजस्थानी, १५४५, 'आदि–वीरजिणेसर पणमी पाय..., अन्त-ईणि उपदेशि दूहवाई जेउ...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अनूप संस्कृत लाइब्रेरी,
बीकानेर ११७७ २९५२. सिद्धि सप्तशतिका, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह.
____ बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २९५३. सिन्दूरप्रकरण टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, उपदेश, संस्कृत,
१५०५, आदि-पादाय पायादभिवन्द्यमानः..., अन्त-वंशे श्रीजिनवल्लभस्य सुगुरोः... गा. ४८००',
अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा २९५४. सिन्दूप्रकरण टीका, धर्मचन्द्रगणि / जिनसागरसूरि पिप्पलक, औपदेशिक, संस्कृत, १५१२,
'आदि-स्वभूर्भुवस्वस्त्रयीरम्य..., अन्त–श्रीजिनसागरसूरेः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान
मन्दिर, कोबा १८०८, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९५५. सिन्दूप्रकरण बालावबोध, राजशीलोपाध्याय / साधुहर्ष उ०, उपदेश, राजस्थानी, १६वीं,
'आदि-शारदाचरणयुग्ममतीतपाप..., अन्त–पाठकराजसीलेन...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि
ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२८४ २९५६. सिरि सहजाणंदघन चरियं, भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, काव्य, अपभ्रंश,
२०४४, 'आदि-जुगवर सिरि जिणदत्तसूरि..., अन्त–गुरुवर पुप्फ पराग जोइय भँवर
आकिट्ठिय...', मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २९५७. सीता सती चौपई, समयध्वजगणि / सागरतिलकगणि लघुखरतर, रास चौपई, राजस्थानी,
१६११, अ., ह. कांतिविजय संग्रह, बड़ौदा, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६६५ २९५८. सीताराम चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७
मेड़ता, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखसंपदा..., अन्त–सीतारामनी चोपई जे चतुर...', मु., सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह
रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २९५९. सीमन्धरादि जिनस्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, आदि
जयवन्तमहन्तभवन्तकरा... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३३) २९६०. सीमंधर जिन स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि
श्रीसीमन्धरदेवमीश्वरविभुं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं.,
बम्बई २९६१. सीमन्धरादि स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि
स्फूर्जत्केवलबोधदर्शनधरान्... गा. १', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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