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________________ २८९५. साधुवन्दना, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अरिहंत सिद्ध साधु नमो..., अन्त–इम चोवीस जिणवर प्रथम...', मु., श्रीमद्देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसार मण्डल, पादरा २८९६. साधुवन्दना, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पंचपरमेठि पयकमल वंदी. करी..., अन्त–इम सुगुरुश्री जिनहंससूरिस...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ २८९७. साधुवन्दना, भावहर्षसूरि / भावहर्षीय, स्तुति, राजस्थानी, १६२६ जोधपुर, 'आदि-साधु सुगुरु समरी करी..., अन्त–इय सोल संत मास मगसीर...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ २८९८. साधुवन्दना, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ओम्कार अपरम्मपार... गा. ३२०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ २८९९. साधुवन्दना, श्रीदेव / ज्ञानचन्द्र, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पांच भरत पांच इरवए जाण..., अन्त-चोवीश जिनवर प्रथम गणधर...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २९००. साधुवन्दना, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तुति, राजस्थानी, १६९७, 'आदि शांतिनाथ जिन सोलमउ..., अन्त-सगला साधुनइ वंदना...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८६४ २१०१. साधुविधिप्रकाश, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, संस्कृत, १६३८, आदि प्रणम्य तीर्थेश गणेशमुख्यान्..., अन्त–विधिः प्राय इह प्रोक्त...', मु,, बम्बई २९०२. साधुविधिप्रकाश भाषा, चारित्रसागर / सुमतिवर्द्धनगणि, विधि, राजस्थानी, १८९३ नागौर, अ., ह. जिनयशसूरि ज्ञान भं., जोधपुर, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २९०३. साधु समाचारी बालावबोध, धर्मकीर्त्तिगणि / धर्मनिधान उ०, आगम, राजस्थानी, १६६९ बीकानेर, अ., अभय ग्र, बीकानेर २९०४. साधु समाचारी बालावबोध, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, आगम, राजस्थानी, १६६२, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, अभय ग्र., बीकानेर २९०५. साधु समाचारी व्याख्यान, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २९०६. साध्वाचारषट्त्रिंशिका, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, विधि, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९०७. साध्वीव्याख्याननिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा 218 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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