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२७५७. संग्रहणी यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३००३४
२७५८. संग्राम सूर कथा, समयरन / कल्याणराज उ० रुद्रपल्लीय, कथा चरित्र, राजस्थानी, १६२१, — आदि-चउवीसइ जिणवरतणा..., अन्त-रुदि वलगच्छ गुरु सुरगुरु...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर
२७५९. संप्रति चौपई, आलमचन्द / आसकरण, रास चौपई, राजस्थानी, १८२२ मकसूदाबाद, अ., ह. विनय प्रतिलिपि
२७६०. संप्रति चौपई, चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ३२८
२७६१. संयति संधि, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३०, 'आदिपण मय रिसह जिणेसर सामी..., अन्त- खरतर गछि गुरु गाजइ ए...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर
२७६२. संदेह दोलावली प्रकरण, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदिपडिबिम्बिय पणयजयं..., अन्त - इय कइवय संसय पयपण्डुत्तर...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा
२७६३. संदेह दोलावली बृहद्वृत्ति, प्रबोधचन्द्रगणि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १३२० प्रल्हादनपुर, 'आदि-श्रीवर्द्धमान प्रभुमानमाम्यई..., अन्त - चान्द्रेकुलेऽतुलबुधौजसिमान...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा
२७६४. संदेह दोलावली लघुटीका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १४९५, — आदि-जयति जगत्त्रितय गुरु..., अन्त - जिनाज्ञेव सतां मनसि...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३२५५, अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि
२७६५. संदेह दोलावली पर्याय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६९३,
अ.
२७६६. संदेशरासक टीका, लक्ष्मीचन्द्रगणि / देवचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, काव्य, संस्कृत, १४६५, मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५६४
२७६७. संयोगद्वात्रिंशिका, मान / सुमतिमेरु, काव्य, राजस्थानी, १७३१, अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर २७६८. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि - असुरनरसुरली वन्द्य... गां. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा
२७६९. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-उद्दाम शृंगाररसा ग्रामा... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा
२७७०. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि - प्रणतसुरासुरमौलिप्रदेश... गा. ४', अ. ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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