________________
२५९२. शान्तिनाथ विज्ञप्तिका, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि
___ अति आणंद नमेवि... गा. २४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २५९३. शान्तिनाथ विवाहलो, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८
बालसीसर, अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर २५९४. शान्तिनाथ स्तुति विषमार्थव्याख्या सह, टी. श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, स्तुति,
संस्कृत, १७वीं, मूल का आदि-वाराणं वरणं रणं रणरणं..., अन्त-प्रज्ञापूरपरागरागरजकं...',
'टीका का अन्त इति श्रीशान्तिनाथविषमार्थस्तुतिवृत्तिः समर्थिताः...', अ. विनय. प्रतिलिपि २५९५. शान्तिनाथ वीनती, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि
अचिरानन्द णमेवि संतिकरण..., अन्त–सुरवर नरवर राजीकाजू... गा. २४', अ., ह.
हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२५-४२६ २५९६. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-न व्योमस्थितिवर्जितो नखमणि... गा. ४ ,
अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९७. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, आदि-निष्ठरकमठमहासुर... गा. ४', अ., ह. विजय
धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९८. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–पार्थोऽवताद्यो रदपांडिमोच्चरत्... गा. ४',
. अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९९. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सुरपतिनतपादः प्रास्तमिथ्याप्रवादः... गा.
४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६००. शान्तिनाथ स्तुति, कीर्तिरत्नसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, आदि-वरसोला भलागूदवडा खजूर...
गा. ४, अन्त-तम्बोलखयरसारं च...', अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा, खरतरगच्छ ज्ञान भं.,
जयपुर २६०१. शान्तिनाथ स्तुति , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तुति, संस्कृत, १३वीं, 'आदि
प्रणतसुरनिकायं काञ्चनच्छायकायं..., अन्त–अपमलबलपीत:... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६०२. शान्तिनाथ स्तुति टीका, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्ति उ०, स्तुति, संस्कृत, १७वीं,
'आदि-प्रणम्य परमाधीशं..., अन्त–वादीन्द्र शेखरसुपाठक साधुकीर्ति...', अ., ह. हंसविजय
संग्रह, बड़ौदा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६०३. शान्तिनाथ स्तोत्र, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नमिरनरासुरसुरवरकिरीडमाणिक्क..., अन्त
इय जिणवइ संतिहि कय जय... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६०४. शान्तिनाथ स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि
श्रीशान्तिदेववन्दितमिन्द्रचन्द्रैः... गा. १५', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (४) २६०५. शान्तिनाथ स्तोत्र-वीनती, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि
श्रेयशान्तिसुख संपदकारी... गा. ११', विनय प्रतिलिपि ४१६ (८)
196
खरतरगच्छ साहित्य कोश
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org