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________________ २४५६. वीतराग स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-त्वं माता त्वं पिता बन्धुस्त्वं..., अन्त–किंकरे सन्ति कारुण्यं... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४५७. वीतराग स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि-जय जय जिण सुप्रसन्न मणा... गा. १९', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१६) २४५८. वीतराग स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जयन्ति पादा जिननायकस्य... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. ३६१ २४५९. वीतराग स्तोत्र , जिनरत्नसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-यत्राल्पेनापि कालेन त्वद्भक्तेः, अन्त-बहुदोषो दोषहीनाः... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४६०. वीतराग स्तोत्र टीका, प्रभानन्दसूरि / देवभद्रसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, _ 'आदि-अनन्तदर्शनज्ञानवीर्य.... अन्त-सलभैश्चेति समंजसं...', अ., ह. कैलाशसागरसरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९१४१, १०१६२ २४६१. वीतराग स्तोत्र, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'अन्त-श्रीवीरतराग स्तवनादमुष्मात्... अपूर्ण', मु., पार्श्वनाथ चरित्र, जैन आत्मानंद सभा, भावनगर २४६२. वीतराग स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि देविंदनागिंद... गा. २५', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४६३. वीतराग स्तोत्र (विविध छन्द), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगधि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रीसर्वज्ञं जिनं स्तोष्ये... गा. २२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१५ २४६४. वीरचरितम्, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र-स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-जय __ भववणनिकंदण..., अन्त–कत्तियमासअमावस...', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १६५ २४६५. वीर जन्माभिषेक बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ., ह. जिनहर्ष - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २४६६. वीर निर्वाण रास, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं भावनगर, 'आदि-सच्छांतिकांतिसमतानिशांतं..., अन्त–गावो गावो रे जिनराजतणा...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा २४६७. वीरपारणक स्तोत्र, वर्द्धमानसूरि / उद्योतनसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, ११वीं, 'गा. ५३', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., कोटा २४६८. वीरभक्तामर स्तोत्र स्वोपज्ञ टीकासह भक्तामर पादपूर्ति, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-राजर्द्धिवृद्धिभवनाद्..., अन्त-रसगुणमुनिभूमेब्देत्र... गा. ४५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३३७ २४६९. वीरभाण उदयभाण चौपई, केशवदास / लावण्यरत्न वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७४५ नवानगर 'आदि-उद्गुरुजी सानिध करो..., अन्त-धनधन वीरभाण उदेभाग मुनिवरु...', अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९२४ 186 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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