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२१९०. यतिश्राद्धालोचन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. सुराणा
लाइब्रेरी, चूरू २१९१. यत्याराधना, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विधि, संस्कृत, १६८५ रिणी, ‘अन्त–
बाणाष्ट रसे भौमाब्दो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २१९२. यशोधरचरित्र, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १८३९ जैसलमेर,
'आदि-सकलसुरनरेन्द्र श्रेणी..., अन्त–श्रीमत्तीर्थापति जगत्रयमतः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि,
कोबा १२३५२, विनय. प्रतिलिपि २१९३. यशोधर रास, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६४३, 'अन्त
खरतरगच्छि जिनचन्द्रसूरिंद...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर,
खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २१९४. यशोधर रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ पाटण, अ., उ.
जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११५७ २१९५. यशोधर रास, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ अमरसर,
'आदि-पणमिय पास जिणेसरु..., अन्त-खरतरगच्छ महिमानिलौ...', अ., उ. जैन गुर्जर
कविओ भाग-३, पृ. ९०८ २१९६. यशोधर सम्बन्ध, सहजकीर्त्तिगणि/ हेमनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह.
धरणेन्दसूरि संग्रह, जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर २१९७. यात्रा स्तवः,जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि-तीर्थयात्राप्रचलित.
अन्त–इत्थं सूरि जिनेश्वरेण विनुताः...', मु., सिरिपयरणसंदोह , २१९८. यामाता पद्यस्य व्याख्या-अर्थपञ्चकम्, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, काव्य,
संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या
मन्दिर, अहमदाबाद २१९९. यामिनी भानु मृगावती चौपई, चन्द्रकीर्त्तिगणि / हर्षकल्लोल वा., रास चौपई, राजस्थानी,
१६८९ बाड़मेर, अन्त-कथाकोसथी में कयुं रे...', अ., ह. पूरणचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता २२००. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि अष्टक-कपाटलोहश्रृंखलाष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्र
गणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली,
पृ.४०३ २२०१. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि निर्वाण रास, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, ऐतिहासिक
रास, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुणनिधान गुरु पाय नमि..., अन्त-युगवर गुरु गुण गावंता
हो... गा. ६९', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ७९ २२०२. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि रास, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, ऐतिहासिक रास,
राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिन सासण... गा. ३९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४०९
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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