________________
२०२९. मण्डपाचल चैत्यपरिपाटी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं,
'आदि-पास जिणेसर पय नमिय..., अन्त-खेमराजगणि भणइ तेइ यात्राफल पावइ...', अ.,
उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ५०१ २०३०. मतिसागर मंत्री रसक मनोहर चौपई, विद्याकीर्त्ति उ० / पुण्यतिलकगणि, रास चौपई,
राजस्थानी, १६७३ सरसा, 'आदि-रिषह नाह पणवी जु जिणंद..., अन्त– रसक मनोहर
चौपई रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०३१. मत्स्योदर चौपई, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ बीलपुर,
'आदि-सोहग सुंदर सुखकरण..., अन्त-ए सम्बन्ध सुणी करी ध्रम कीजै रे...', अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर २०३२. मत्स्योदर चौपई, लब्धोदयगणि / ज्ञानराजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२, अ., ह.
बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २०३३. मत्स्योदर चौपई, समयमाणिक्य / मतिरत्नगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२ नागौर, अ.,
उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२७९ २०३४. मत्स्योदर रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१८ बाड़मेर,
'आदि-प्रह उठी प्रणमुं सदा..., अन्त-शांतिनाथ चरित्रथी ए कर्यो...', अ., ह. सेठिया
लाइब्रेरी बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०३५. मत्स्योदर रास, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अन्त
रच्यो रास...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३७५९ २०३६. मथुरायात्रा स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि
सुराचल श्रीजिति... गा. १०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विधि मार्ग प्रपा, पृ. १३१ . २०३७. मथुरा स्तूप स्तुति, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि
श्रीदेवनिर्मितस्तूप... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विधि मार्ग प्रपा, पृ. १३१ २०३८. मदननरिंदचरित्र, दयासागर / उदयसमुद्र पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६१९ जालौर,
अ. ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., उदयपुर २०३९. मदननृपति चौपई, मथुर / भुवनसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२, ‘अन्त–मदन
नृपति गुण गाया भावस्यु...', अ. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर २०४०. मध्याह्नव्याख्यानपद्धति, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, औपदेशिक कथा, संस्कृत,
१६७३ पाटण, 'आदि-स्वस्ति श्रीदायिकां सघः..., अन्त-श्रीसिद्धार्थवसुन्धरेशतनयः... श्लो.-६१००', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २६९६, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सकलचन्द्रसूरि - पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात
154
खरतरगच्छ साहित्य कोश
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org