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________________ १९८६. भारती स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि अतिनिर्मलरोचिर्मण्डल कुण्डल... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९८७. भारती स्तोत्र, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्री शारदा शास्त्र सुबुद्धि... गा. ८', मु., सचित्र सरस्वती प्रासाद, प्रकाशक - सुपार्श्वनाथ उपाश्रय जैन संघ, बम्बई १९८८. भावनाकुलक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ. १९८९. भावनाप्रकाश, शिवचन्द्रोपाध्याय / रामविजय उ०, काव्य, संस्कृतं, १९वीं, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ १९९०. भावनाविलास, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७, 'आदि-प्रणमि चरण युग पास जिनराज जुके..., अन्त-द्विप युगल मुनि शसि वरसि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९९१. भावपदविवेचन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम, प्रकरण, संस्कृत, १७वीं, 'अन्त श्रीगुणविनयोपाध्यायैर्विनिर्मितोयं भावो लेशतः...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९९२. भावशतक विवेचनसह, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १६४१, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १९९३. भावहर्षसूरि चौपई, अनन्तहंस / भावहर्षसूरि, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९९४. भावारिवारण स्तोत्र (महावीर स्तोत्र ), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत प्राकृत, १२वीं, 'आदि-भावारिवारणनिवारणदारुणोरु..., अन्त-इत्थं ते समसंस्कृतस्तवमहं... गा. ३०', मु. जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. २१४ । १९९५. भावारिवारण स्तोत्र टीका, क्षेमसुन्दरोपाध्याय / जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर १९९६. भावारिवारण स्तोत्र टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण । १९९७. भावारिवारण स्तोत्र टीका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-श्रेयोर्थं श्रीमहावीरं..., अन्त-श्रीजिनराजसूरि शिष्योपाध्याय श्री जयसागरविरचिता...', ___ मु., हीरालाल हंसराज जामनगर, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९७१ १९९८. भावारिवारण स्तोत्र अवचूरि, नरसुन्दरगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं (?), आदि-श्रीवर्धमानं ... प्रणिपत्य भक्तया...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १९९९. भावारिवारण स्तोत्र टीका, मतिसागर, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह २०००. भावारिवारण स्तोत्र टीका, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'अन्त-वा. रत्नमूर्ति गणिशिष्येण वा. मेरुसुन्दर गणिना...', अ., ह. वृद्धिचन्द्र संग्रह, जैसलमेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 151 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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