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१९०४. बावनी - कवित्त बावनी, जयचन्द / सकलहर्ष, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३०
___सेमणा, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह १९०५. बावनी - कवित्त बावनी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
- १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९०६. बावनी - कवित्त बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
१८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खंजाची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९०७. बावनी-कुंडलिया बावनी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७३४ जोधपुर, 'आदि-ॐ नमो कहि आदथी..., अन्त-बावन अक्षर बीज आदि...', मु.,
धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३१३ १९०८. बावनी - कुंडलिया बावनी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
१८०८, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १९०९. बावनी - कुंडलिया बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बावनी साहित्य,
राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १९१०. बावनी - केशव बावनी, केशवदास / लावण्यरत्नगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
१७३६, 'आदि-ऊँकार सदा सुख देउतहीं..., अन्त-बाउन अक्षर जोर करी भया...', अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर १९११. बावनी - गूढ निहाल बावनी , ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
१८८१, 'आदि-चांच आंख पर जाउं खग..., अन्त–खरतर भट्टारक गछै रत्नराजगणि सीस...',
मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २०८ १९१२. बावनी - गुण बावनी, उदयराज / भद्रसार भावहर्षी, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६७६
बबेरा, 'आदि-ऊँकाराय नमो अलख अवतार अपरंपर..., अन्त-कहइ जिके भावन्नी...',
अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९१३. बावनी - छप्पय बावनी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं,
'आदि-गुरु गुरु दिन मणि हंस..., अन्त-सतरै सै संवत वरस त्रेपनो वखाणां...', मु., धर्मवर्द्धन
ग्रन्थावली, पृ. ३५, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३१४ १९१४. बावनी - छप्पय बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, बावनी साहित्य,
राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९१५. बावनी - जैनसार बावनी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी,
१८०२ नापासर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९१६. बावनी - ज्ञान बावनी , हंसराज पिप्पलक, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि
ऊँकार रूप ध्येय गेय है न जाते..., अन्त-ज्ञानकों निधान सुविधान सूरि वर्द्धमान...', अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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