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१६२४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शृङ्गाटकबन्ध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत,
१७वीं, 'आदि-कमनकन्दनिकन्दनकर्मदं..., अन्त–इति पार्श्वजिनेश्वरमीश्वर... गा. १०', मु.,
समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९३ । १६२५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-बृहद् समस्यामय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत,
१७वीं, आदि-त्वद्भामण्डलभास्करे स्फुटतरे... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ.६१९ १६२६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं,
'आदि-नमिरसुरासुरखयरराय... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५४ १६२७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (यमकबद्ध), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत,
१७वीं, 'आदि-परमपासपहू महिमालयं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ६१८ १६२८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (यमकबद्ध), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत,
१७वीं, 'आदि–पार्श्वप्रभुं केवलभासमानं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. १८७ १६२९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि
प्रकृत्यापि विना नाथ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८६ १६३०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकबन्ध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं,
'आदि-प्रणत मानवमानवमानवं... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९२ । १६३१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु( शृङ्खलामय), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, __१७वीं, 'आदि-प्रणमामि जिनं कमलासदनं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. १८९ १६३२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-ईर्यापथिकी मिथ्यादुष्कृत विचार गर्भित, समयसुन्दरोपाध्याय /
सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि-भणुया तिसय तिडुत्तर... गा. ४', मु.,
समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८५ १६३३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, राजस्थानी-संस्कृत,
१७वीं, 'आदि-भलूं आज भेट्युं प्रभो पादपा... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. १९६ १६३४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत-प्राकृत, १७वीं,
'आदि-लसण्णाणविन्नाणसन्नाणगेहं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८२ १६३५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-हारबन्ध चल च्छृड्लागर्भित, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि,
स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-वन्दामहे वरमतं कृतसातजातं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९४
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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