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१५८१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड मण्डन, मुनिचन्द्रोपाध्याय / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
१३वीं, 'आदि-नमामि श्रीपार्श्व कलिगिरिशिराकुण्ड..., अन्त–इतिश्रीमान् पार्श्वः प्रचुर खिल...
गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि । १५८२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
१५वीं, आदि-असुरनरसुरेन्द्र... गा.८', अ. १५८३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटकमण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं,
___'आदि-आनन्दभन्दकुमुदाकरपूर्णचन्द्र... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५८४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं,
'आदि-कस्तूरिका कुवलयालि... गा. १५', अ., ह. अभयसिंह - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५८५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ (चिन्तामणि गर्भित), मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि,
स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-नयपुरी फलवर्द्धिविशेषक... गा. ९', अ. १५८६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, प्राकृत,
१५वीं, 'आदि-नमिरसुर... गा. ५', अ. १५८७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
___ १५वीं, 'आदि–पार्श्वप्रभुं कपिलपाटककल्पवृक्षं... गा. ८', अ. १५८८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि
महामणिकरण्डं व्याधिसिन्धौ तरण्ड... गा. ८', अ. १५८९. पार्श्वनाथ स्तव, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि
शेषराजफणराजिराजि... गा.७', अ. १५९०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
१५वीं, 'आदि-श्रीकल्पपाटकरहेटकभूवतंसं... गा. १८', अ. १५९१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली समसंस्कृत प्राकृत, स्तोत्र, संस्कृत-प्राकृत, आदि-श्रीजीराउल्लीपुरी
मेरुदरी धरणी, अन्त-नानादेशनिवेशसंघसमुदाय... गा. ९', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि - पार्श्वचन्द्रगच्छ
भं.,खम्भात, पृ. ४३०-४३१ १५९२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
१५वीं, 'आदि-सकलमङ्गलकेलिविधायकं... गा. ८', अ. १५९३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत,
___ १५वीं, 'आदि-सप्रभावमतिभावनिवेशं... गा. १०', अ. १५९४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश,
१४३२, 'आदि-समरवि त्रिभुवन..., अन्त–चउदइ बत्रीसई संवति... गा. ३०', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४२०
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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