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________________ १२५३. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, ? / पद्मचन्द्र-जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रकरण, राजस्थानी, १७६६ थट्टा, अन्त–संवत सतरे षटरसे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३७ १२५४. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, रत्नलाभोपाध्याय / विवेकरत्नसूरि पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२५५. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२५६. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, हर्षवर्द्धन / कनकोदय ?, प्रकरण, राजस्थानी, १७८५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२५७. नवतत्व प्रकरण स्तबक, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. 'विनय. प्रतिलिपि १२५८. नवतत्व प्रकरण स्तबक, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२५९. नवतत्व प्रकरण स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८३९ कालाऊना, 'आदि-वीतराग नमस्कृत्य..., अन्त-भावयानवतत्वार्थो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस १२६०. नवतत्व प्रकरण स्तबक, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जेह नमुंजे माहिलो..., अन्त–अनेक घणा सिद्ध...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४५२४ १२६१. नवतत्व भाषाबन्ध, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ हिसार, 'आदि-श्री श्रुत देवता मनमें..., अन्त-श्री विक्रमतै सत्तरसै...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५२ १२६२. नवतत्व स्वरूपयन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २५८४ १२६३. नवपदप्रकरण अभिनववृत्ति, देवेन्द्रसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, प्रकरण, संस्कृत, १४५२, अ., उ. जिनरत्नकोष १२६४. नवपदप्रकरण भाष्य, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि भूयत्थ इह अवितहभावा..., अन्त–मन्दमईणं विबोहत्थं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२२३, मु. १२६५. नवपद स्तोत्रतम्, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-लसद्गुणैः संस्तविताः... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह पृ. ५४, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १२६६. नवपद सिद्धचक्र स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि कुष्ठादिरोगशमकं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह पृ. ४७, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई 97 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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