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________________ १२११. नगर कोट्ट महातीर्थ चैत्यपरिपाटी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, गीत स्तवन, अपभ्रंश, 'आदि- मुझ मनि लागिय खन्ति..., अन्त - इय नगरकोट पमुक्ख...', अ., पुण्यविजय संग्रह ३४२० (२२), उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ४३२ १२१२. नग्गई प्रत्येकबुद्ध चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५, ‘अन्त-सोलहसइ पांसठिसमइ...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-७ १२१३. नन्दन मणिहार सन्धि, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५८७, 'आदि-वीर जिणेसर चरण नमेवि..., अन्त - उवझायवर श्री भगतिलाभई सीस...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ५७७, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२१४. नन्दिषेण चौपई, दानविनय / धर्मसुन्दर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ नागौर, 'अन्तसंवत सोल पइसठा वरसई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२१५. नन्दिषेण चौपई, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८०३ केसरदेसर, 'आदि- वर्द्धमान चउवीसनै. अन्त-शिवलोचन सिव सिध शशि...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १२१६. नन्दिषेण फाग, ज्ञानतिलकोपाध्याय / पद्मराज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. १२१७. नन्दीश्वर कल्प, जिनभद्रसूरि / जिनेश्वरसूरि स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, ‘आदि-अन्त-प्रायः पूर्वाचार्यग्रथितैः...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १२१८. नन्दीश्वचैत्य स्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-वंदिय नन्दियलोयं..., अन्त - इय वीसं बावन्नं... गा. २५, मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १९० १२१९. नन्दीश्वचैत्य स्तव टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि महो, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि १२२०. नन्दीश्वचैत्य स्तव अर्थ, मुनिमेरुगणि / जिनभद्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि- सिरिनिलय जम्बूदीवोय... गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०३६७ १२२१. नन्दीसूत्र मलयगिरि टीकोपरिटीका, जिनचारित्रसूरि / जिनकीर्त्तिसूरि, आगम, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-यामाश्चित्य शुभां सुमुक्तिदममी...', अ. ह. श्री पूज्यजी, बीकानेर, प्रथम खण्ड प्रकाशित, शेष खण्ड की प्रतिलिपि रा.प्रा.वि.प्र. में है १२२२. नमस्कार प्रथमपद अर्थ, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्रगणि, अनेकार्थ, संस्कृत, १७वीं, — आदि-नमो अरिहंतजाणं नमोईद्भय...', मु., अनेकार्थरत्न मंजूषा, पृ. १०३ १२२३. नमस्कारमन्त्र बालावबोध, पद्मचन्द्र / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्तोत्र, राजस्थानी, १७६६ थट्टा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२२४. नमस्कारमन्त्ररहस्य स्तव ( ? ), जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, अ. १२२५. नमि प्रत्येकबुद्ध चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'अन्त-विमलनाथपरसाद थी...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग - ७ 94 Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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