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________________ १११९. दूहा मातृका, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, आदि-भले भलेविण जगतगुरु..., अन्त-मङ्गलमाहसिरिसरिसु...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. ११ ११२०. देवकी छ पुत्र रास, लावण्यकीर्तिगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११२१. देवकी रास, मतिवर्द्धनगणि / सुमतिहंस उ० आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३३१ ११२२. देवकुमार चौपई, लालचन्द्रगणि / हीरनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२ अलवर, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, यति सूर्यमल संग्रह, कलकत्ता ११२३. देवगुरु काव्य (गुर्वावली), जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-पंच समिउ तिगुत्तो..., अन्त–जिणि जगि जगडिय गउड चउड... गा. ४३', अ., ह. हर्षचन्द्र पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३९-४४४, प्रारम्भ से जिनकुशलसूरि तक ११२४. देवतिलकोपाध्याय चौपई, पद्ममन्दिरगणि / विजयराज उ०, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, आदि-पास जिणेसर पय नमुं..., अन्त-ए चउपई सदा जे गुणइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५५ ११२५. देवदिन्न चरित्र, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र उ०, चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, अ. ११२६. देवदूष्यवस्त्रार्पण कथानक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा, संस्कृत, १७वीं, अ. ११२७. देवद्रव्यनिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा ११२८. देवद्रव्यनिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, चर्चा, संस्कृत अपूर्ण, २०वीं, अ., विनय. संग्रह ११२९. देवराज बच्छराज चौपई, आनन्दनिधान उ० / मतिवर्द्धन उ० आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ सोजत, अ., महिमाभक्ति भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर ११३०. देवराज बच्छराज चौपई, कनकविलास उ० / कनककुमार उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८ जैसलमेर, 'आदि–प्रहसमि प्रणमुं प्रेम धरि..., अन्त-सिद्धि ईसरद्रग भूधर पृथ्वी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ३५८ ११३१. देवराज बच्छराज चौपई, कल्याणदेव / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'अन्त-संवत सोलत्रयासि वरसिइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. २७५ ११३२. देवराज बच्छराज चौपई, परमाणंद / जीवसुन्दर, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ मरोट, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 87 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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