SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०९१. दशवैकालिकसूत्र पर्याय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०९२. दशवैकालिकसूत्र बालावबोध, राजहंस / हर्षतिलक, आगम, संस्कृत, १६वीं, 'आदिनत्वा श्री वर्द्धमानाय..., अन्त - इति श्री खरतरगच्छाधीश...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५२७५, ५७०० १०९३. दशवैकालिकसूत्र स्तबक दीपिका, चारित्रचन्द्रगणि / जयरङ्ग उ०, आगम, संस्कृत, १७२३, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ५८५ १०९४. दशवैकालिकसूत्र स्तबक, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, आगम, राजस्थानी, १६५२, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०९५. दशवैकालिकसूत्र स्तबक, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगणि, आगम, राजस्थानी, १७११, अ. १०९६. दशवैकालिकसूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर महो०, आगम, हिन्दी, २० वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा १०९७. दश श्रावकचरित्र, पूणभद्रगणि / जिनपतिसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२७५, 'आदि - जस्स पयनहपहाभरपञ्जरमज्झट्ठिया तिलोई वि..., अन्त - आणंदईण एवं सुचरियदसगं सत्तमंगाणुसारा...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २७०/४ १०९८. दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र टीका सुबोध, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनयोपाध्याय, आगम-छेद, संस्कृत, १६९७, अ., ह. जैन स्थानक भं., लुधियाना १०९९. दशार्णभद्र इन्द्र संवाद छन्द, आणंद / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८ बीकानेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११००. दशार्णभद्र चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५७ मेड़ता, ' आदि - वीर जिणेसर वंद ने..., अन्त - तेहनै शिष्ये ए मुनिवर तव्यो...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३२६ ११०१. दशार्णभद्र चौपई नवढालिया, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६०, ‘आदि-जिणवर चौविसे नमी ..., अन्त - संवत् गगन सुहामणौ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११०२. दशार्णभद्र भास, हेमाणंदगणि / हीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५८ रडवडीया, 'अन्त - ऐह रिषि श्रावकगुण थुणइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकोनर ११०३. दादाजी - स्तवन संग्रह, संग्राहक म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर ११०४. दानादि चौढालिया, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ सांगानेर, 'आदि-प्रथम जिणेसर पाय नमी ..., अन्त - सोलेसै बासठ समै रे...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८३ Jain Education International राजस्थानी खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 85 www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy