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८१५. छत्तीसी - दया छत्तीसी, चिदानन्द / चुन्नीजी, छत्तीसी साहित्य, हिन्दी, १९०५ भावनगर,
'आदि-चरणकमल गुरुदेवके..., अन्त-शरद पूरण निधि चंद्रमा...', मु. चिदानंदजी कृत
सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ५२ ८१६. छत्तीसी - दया छत्तीसी, साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१६८५ अहमदाबाद, 'आदि-दया धरम मोटउ जिन शासन..., अन्त-दया छत्रीसी इणी परि
दाखी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११११८ ८१७. छत्तीसी - दान छत्तीसी, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२३,
'अन्तसंवत सतरहसौ तेवीसे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२३२ ८१८. छत्तीसी - दृष्टान्त छत्तीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१८वीं, आदि-श्री गुरु को शिक्षा वचन... गा. ३६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ५३ ८१९. छत्तीसी - दोधक छत्तीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१८वीं, 'आदि-जिण दिन सज्जण वीछड़या..., अन्त–दोधक छत्तीसी रची...', मु., जिनहर्ष
ग्रन्थावली, पृ. ११७ ८२०. छत्तीसी - धर्म छत्तीसी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ८२१. छत्तीसी - परमात्म छत्तीसी, चिदानन्द (कपूरचन्द) / चुन्नीजी, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
२०वीं, 'आदि-परम देव परमातमा..., अन्त-चिदानंद तुम प्रति लिखी...', मु., चिदानंदजी
कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ६५ ८२२. छत्तीसी - प्रस्ताव छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य,
राजस्थानी. १६९० खम्भात. 'आदि-परमेसर परमेसर सह कहइ..., अन्त-साचउ एक धरम
भगवंत नउ...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१५ ८२३. छत्तीसी - पुण्य छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य,
राजस्थानी, १६६९ सिद्धपुर, 'आदि-पुण्य तणा फल परतिख देखो..., अन्त-युगप्रधान जिनचन्द
सवाई...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५३३ ८२४. छत्तीसी - प्रीति छत्तीसी, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१६८८ सांगानेर, 'आदि–प्रीति न किणिही जीति जायइ,... अन्त–संवत सोलवरस अठ्यासी...',
अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ.५२६ ८२५. छत्तीसी - भजन छत्तीसी, उदयराज / भद्रसार श्रावक भावहर्षीय, छत्तीसी साहित्य,
राजस्थानी, १६६७, अ. ८२६. छत्तीसी - भाव छत्तीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी,
१८६५ किसनगढ़, 'आदि-क्रिया अशुद्धता कछु नहीं..., अन्त-भावछत्तीसी भविकजन...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १४०
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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