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निरुक्त कोश १५०६. संधारणा (संधारणा)
सं एगीभावम्मी, 'धी धरणे' ताणि एव भावेणं । धारेयत्थपयाणि तु, तम्हा संधारणा होति ।
(जीतभा ६५७) एक साथ धारणीय पदों को धारण करना संधारणा/
धारणा व्यवहार है। १५०७. संधि (सन्धि) सन्धीयते असो सन्धिः ।
(आटी प १३०) जिसका सन्धान किया जाता है, वह संधि कर्त्तव्यकाल है । १५०८. संधिचारि (सन्धिचारिन्) संधि चरति संधिचारी।
(आचू पृ ३४६) जो संधि/विवर को देखता है, वह संधिचारी है। १५०६. संनिचय (सन्निचय)
सम्यग् निश्चयेन चीयत इति सग्निचयः । (आटी प १३०)
चीनी, द्राक्षा आदि का संग्रह सन्निचय है । १५१०. संनिहि (सन्निधि)
सम्यग् निधीयत इति सन्निधिः । (आटी प १३०)
विनाशशील द्रव्यों का सन्निधान संस्थापन सन्निधि है। १५११. संपणिवाय (संप्रणिपात) सम्यक-समीचीनतया प्रकर्षेण निपतनं-संप्रणिपातः ।
(प्रसाटी प १५) सम्यक् प्रकार से अत्यन्त झुक कर नमन करना संप्रणिपात
१. अविनाशिद्रव्याणां अभयासितामृद्वीकादीनां सङ्ग्रहः सन्निचयः ।
(आटी प १३०) २. विनाशिद्रव्याणां दध्योदनादीनां संस्थापनं सन्निधिः । (आटी प १३०)
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