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निरुक्त कोश
१३५०. वसुहा (वसुधा) वसूनि निधत्ते इति वसुधा ।
(उचू पृ २०६) जो वसु/रत्नों को धारण करती है, वह वसुधा/पृथ्वी है। १३५१. वहग (वधक) वधन्तीति वधकाः।
(दटी प ७८) जो वध करते हैं, वे वधक हैं । १३५२. वहण (वहन)
उद्यतेऽनेन वोढव्य मिति वहनम् । (उशाटी प ५५०)
जिसके द्वारा भार ढोया जाता है, वह वहन वाहन है । १३५३. वाअ (वात) वातीति' वातः ।
(उचू पृ १८२) जो गन्ध को ग्रहण करती है, वह वात/हवा है ।
जो बहती है, वह वात/हवा है। १३५४. वाअ (वाच्) वक्तीति वाक् ।
(उचू पृ १५३) उच्यते वाऽनयेति वाक् ।
(आवहाटी १ पृ ३०४) जो बोलती है/शब्द करती है, वह वाक् वाणी है । १३५५. वाअर (बादर) वातं रातीति वातरो।
(दअचू पृ ८१) ____ जो वाणी-इन्द्रिय का विषय बनता है, वह बादर है। १३५६. वाउरिय (वागुरिक) वागुरा-मृगबन्धनं तया चरन्तीति वागुरिकाः ।
(अनुद्वामटी प ११९) १. वांक्-गतिगन्धनयोः। २. 'वात' का अन्य निरुक्त
वायति वा द्रव्याणि वायुः । (अचि पृ २४६) जो पदार्थों को चालित करती है, वह वायु है।
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